सितम्बर को ही तीज मनाया है। गर्मी व उमस के बाद भी महिलाओं ने अपने सुहाग के लिए निराजल व्रत रखा है। सुबह से ही मंगला गौरी मंदिर में दर्शन करने के लिए कतार लग गयी थी। महिलाओं के उत्साह के आगे मौसम की बेरुखी व भूख-प्यास की शिकन भी काम नहीं आयी। महिलाओं ने माता का दर्शन किया और फिर घर जाकर तीज की पूजा की।
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सौभाग्य रक्षा के लिए महिलाएं तीज के दिन तीज कथा सुनती है और रात्रि में जागरण कर प्रभु की अराधना करती है इसके बाद तीज के दूसरे दिन अपना निराजल व्रत को तोड़ती है। तीज का व्रत बेहद कठिन माना जाता है इसके बाद भी महिलाएं अपने अटल सुहाग के लिए कठिन व्रत रखती है।
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