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वाराणसी

गजब! ग्राफ्टिंग तकनीक से आलू के पौधे में बैंगन, बैंगन के पौधे में उगा टमाटर, किसानों के लिए फायदेमंद है यह तकनीक

भारतीय सब्जी अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार ग्राफ्टिंग तकनीक से ऐसी पौध को विकसित किया है जिससे एक ही पौधे में अलग-अलग सब्जियां उगी हों

वाराणसीFeb 06, 2021 / 05:13 pm

Karishma Lalwani

गजब! ग्राफ्टिंग तकनीक से आलू के पौधे में बैंगन, बैंगन के पौधे में उगा टमाटर, किसानों के लिए फायदेमंद है यह तकनीक

गजब! ग्राफ्टिंग तकनीक से आलू के पौधे में बैंगन, बैंगन के पौधे में उगा टमाटर, किसानों के लिए फायदेमंद है यह तकनीक

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. भारतीय सब्जी अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार ग्राफ्टिंग तकनीक से ऐसी पौध को विकसित किया है जिससे एक ही पौधे में अलग-अलग सब्जियां उगी हों। वाराणसी के शहंशाहपुर में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिकों ने एक शोध किया जिसके बाद ऐसे पौधे उगाये गए हैं, जिसमें आलू के साथ टमाटर और बैंगन का भी उत्पादन हो सकेगा। ग्राफ्टिंग विधि द्वारा आलू, बैंगन एक पौधे में और टमाटर, बैंगन एक पौधे में उगाये जा रहे हैं। यानी कि आलू के पौधे में बैंगन और बैंगन के पौधे में टमाटर उगाए जा रहे हैं। इन पौधों को पोमैटो और टोमटाटो नाम दिया गया है। पौधों पर शोध करने वाले संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आनंद बहादुर सिंह का कहना है कि ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग कर एक पौधे में दूसरे तरह के सब्जियों को उगाने का एक्सपेरिमेंट किया गया है।
ऐसे तैयार होती है पौध

डॉ. आनंद बहादुर सिंह ने कहा कि ग्राफ्टिंग विधि के द्वारा टमाटर के पौधे में बैंगन के पौधे को कलम करके उसे एक ही पौधे में उगाया जा रहा है। इसी तरह आलू के पौधे में बैंगन की ग्राफ्टिंग की गई है। इसमें मिट्टी के नीचे के हिस्‍से में आलू और ऊपर के हिस्‍से में टमाटर को कलम कर एक ही पौधे में दोनों सब्जियां उगायी गई हैं। ऐसे विशेष पौधे 24-28 डिग्री तापमान में 85 फीसदी से अधिक आर्द्रता और बिना प्रकाश के नर्सरी में तैयार किया जाता हैं। ग्राफ्टिंग के 15-20 दिन बाद इसे फील्ड में बोया जाता है। सही मात्रा में कांट-छांट की जाती है और पौधे में उर्वरक और पानी का भी सही मिश्रण दिया जाता है। ये पौधे रोपाई के 60-70 दिन बाद फल देते है। यह तकनीक टैरिस गार्डन के शौकीनों के लिए फायदेमंद होती है।
किसानों के लिए फायदेमंद ग्राफ्टिंग तकनीक

वहीं संस्थान के डायरेक्टर डॉ. जगदीश सिंह के अनुसार, ग्राफ्टिंग तकनीक किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसकी शुरूआत 2013-14 में हुई थी। इस तकनीक का इस्तेमाल उन इलाकों में ज्यादा फायदा करता है, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है। फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है, जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं। बता दें कि भारतीय सब्‍जी अनुसंधान संस्‍थान के वैज्ञानिक देश के अलग-अलग इलाकों के मौसम के अनुसार अधिक पैदावार वाली सब्जियों की नई प्रजाति तैयार करते रहे हैं। पहली बार एक ही पौधे में दो तरह की सब्‍जी उगाने में सफलता हासिल की है।
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