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वाराणसी

जन्मजात बीमारियों का समय रहते पता लगा कर उनके उपचार में सहायक है जीनोम सिक्वेंसिंग

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग में NGS यानी कि नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग पर वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसके त्रिगुण ने 50 चुनिंदा रिसर्चर्स और देश भर के वैज्ञानिकों से संवाद किया। बताया कि जंतु विज्ञान विभाग, विज्ञान के सभी क्षेत्रों में देश भर में अग्रणी रहा। उसी को जारी रखते हुए यहां पर कार्यशाला आयोजित की गई है। इसमें शामिल सभी पीएचडी स्कॉलर्स और वैज्ञानिक देश को नेक्स्ट जनरेशन जेनेटिक्स के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में ले

वाराणसीJul 30, 2022 / 07:59 pm

Ajay Chaturvedi

बीेएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग पर कार्यशाला

बीेएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग पर कार्यशाला

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जूलाजी डिपार्टमेंट में NGS यानी नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग पर वर्कशॉप के उद्घाटन सत्र को संबधित करते हुए जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसके त्रिगुण ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माला-फूल अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया। फिर उन्होंने 50 चुनिंदा रिसर्चर्स और देश भर के वैज्ञानिकों से संवाद किया। इस मौके पर जीन एक्सपर्ट डॉ. दिव्यांक महाजन ने छात्रों को जीन बेस्ड डिजीज पर जानकारियां दी। कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग से जो डेटा मिलता है वह 5 GB से भी ज्यादा होता है। इसको किसी भी कम्प्यूटर से एनालिसिस करने में कॉम्प्यूटेशनल सिम्युलेशंस की जरूरत होती है। यदि डाटा ठीक हो तो सिमुलेशन भी सटीक रिजल्ट देता है। उन्होंने क्लासरूम में दिखाया कि कैसे सही बेसकॉलिंग से किसी भी रोग के लिए जिम्मेदार जीन को इफेक्टिव तरीके से चिन्हित किया जा सकता है। आगे चलकर इन डेटा को लेकर मेडिकल साइंस रोगों के इलाज में उपयोग कर सकता है।
बीेएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग पर कार्यशाला
हर तरह की जन्मजात बीमारियों का समय रहते पता लगा सकते हैं

रेडक्लिफ जेनेटिक्स के CEO डॉ. आशीष दुबे ने जीन आधारित रोग और निदानों के बारे में बारीकी से बताया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के पहले तक सैंगर सिक्वेंसिंग से जीनोम के कुछ ही भाग की जानकारी पता चलती थी। मगर, अब NGS के द्वारा हम पूरे जीनोम (3.2 बिलियन बेस पेयर) के बारे में जानकारी हासिल कर पा रहे हैं। यह जीन क्रांति का युग है। हम अब हर तरह के जन्मजात बीमारियों का समय रहते पता लगा सकते हैं।
बीेएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग पर कार्यशाला
भारत में 70 हजार साल पूर्व शुरू हुई मानव विकास प्रक्रिया

शिकागो यूनिवर्सिटी की मानव विकास वैज्ञानिक डॉक्टर मनसा राघवन ने बताया की मानव विकास की प्रक्रिया में पूरे भारत में तीन मुख्य पड़ाव थे। जीन के अध्ययन से यह बात पता चली कि ईस पड़ाव की शुरूवात 70,000 वर्ष पहले हुई। फिर 10,000 वर्ष पहले मानव ने कृषि कार्य को खोजा और विभिन्न पशुओं और पौधों को अपने उपयोग के लिए अनुकूलित किया और अंत में 5000 वर्ष पहले तकनीकी रूप से विकसित हुआ। ईन सभी अध्ययन में नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेन्सिंग का उपयोग किया गया जिससे हाई रेज़लूशन अध्ययन हो पाया। उन्होंने प्राचीन अमेरिका के मानव विकास की प्रक्रिया को समझाते हुवे बताया कि यह नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेन्सिंग टेक्नीक ही थी जिसके अध्ययन से पता चला की भारत के अंडमान से 25,000 वर्ष पहले एक मायग्रेशन अमेरिका में हुआ था।
आरएनए सीक्वन्सिंग डेटा को अनालिसिस करने के गुर बताए

बीरबल साहनी इंस्टीच्युट लखनऊ के प्राचीन डीएनए के विशेषज्ञ डॉ. नीरज राय ने राखिगढ़ी के ऐतिहाशिक डीएनए के अनालिसिस में किए गए नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंन्सिंग अन्वेषण को क्रमबद्ध तरीक़े से बताया। रेडक्लिफ़ जेनेटिक्स के डॉ. सुयश अग्रवाल ने हैंड्ज़ ऑन ट्रेनिंग की शृंखला में आरएनए सीक्वन्सिंग डेटा को अनालिसिस करने के गुर सिखाए। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को कमांड लाइन से सैम्पल का क्वालिटी कंट्रोल और अन्वेषण को एक एक करके समझाया।
हम अपने अस्तित्व के साथ ही वाइरस से लगातार परस्पर सम्बंध बनाए

मैक्स प्लैंक जर्मनी के असिस्टेंट प्रफ़ेसर डॉ. मानवेंद्र सिंह ने बताया कि उनके शोध से पता चला की मानव जीनोम भी 8 फीसद रेट्रोवाइरस का बना होता है, जिसका तात्पर्य है कि हम अपने अस्तित्व के साथ ही वाइरस से लगातार परस्पर सम्बंध बनाए है।
वैज्ञानिक देश को नेक्स्ट जनरेशन जेनेटिक्स मामले में दुनिया के शीर्ष पर ले जाएंगे

इससे पूर्व कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसके त्रिगुण ने कहा कि यहां पर जीनोम सिक्वेंसिंग के बारे में कई व्यवहारिक जानकारियां मिलेंगी। जंतु विज्ञान विभाग, विज्ञान के सभी क्षेत्रों में देश भर में अग्रणी रहा। उसी को जारी रखते हुए यहां पर कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें शामिल सभी PhD स्कॉलर्स और वैज्ञानिक देश को नेक्स्ट जनरेशन जेनेटिक्स के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में लेकर जाएंगे।
प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और डॉ. राघव मिश्रा ने सिखायी म्यूटेशन की प्रक्रिया
कार्यक्रम के बारे जानकारी देते हुए आयोजक मंडल से प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और डॉ. राघव मिश्रा ने कहा कि कार्यक्रम में रिसर्चरों ने डेटा को मैप करते हुए म्यूटेशन का पता लगाना सीखा। म्यूटेशन स्कोरिंग से होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारियां दी गईं।
विशेषज्ञ वैज्ञानिक आईएमएस बीएचयू के 50 रिसर्चर्स के जीनोमिक सवालों और दुविधाओं का करेंगे समाधान

इस वर्कशॉप में BHU के विज्ञान संस्थान और चिकित्सा विज्ञान संस्थान के विभिन्न विभागों से 50 रिसर्चरों को सेलेक्ट किया गया है। वहीं, वर्कशॉप में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के पेलियो डीएनए प्रोफेसर डॉ. मानसा राघवन, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज डॉ. नीरज राय, मैक्स डेलबर्क सेंटर जर्मनी से डॉ. मानवेंद्र सिंह शोधार्थियों के जीनोमिक सवालों और दुविधाओं का समाधान करेंगे।
रविवार के आयोजन
कार्यशाला के तीसरे और अंतिम दिन रविवार को रेडक्लिफ़ जेनेटिक्स से डॉ. उपासना बजाज शोधार्थियों के जीनोमिक सवालों और दुविधाओं का समाधान करेंगी।

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