पीएम नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा की सफाई है। इसके लिए मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से ही कार्य आरंभ किया हुआ है। गंगा की सफाई के लिए सरकारी योजना के साथ आम लोगों को भी जागरूक करना है। कई राज्यों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी ) का निर्माण चल रहा है। केन्द्र सरकार की मंशा है कि सीवर व उद्योंग का एक भी बूंद गंदा पानी गंगा में न गिरे। इसके चलते ही हजारों करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट पर खर्च हो रहे हैं। नमामि गंगे अभियान की जिम्मेदारी पहले एमपी की पूर्व सीएम उमा भारती को सौंपी गयी थी इसके बाद जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को यह जिम्मेदारी मिली है। गंगा की सफाई व लोगों को जागरूक करने के लिए 66 लाख गंगा प्रहरी नियुक्ति किये जायेंगे। इन लोगों का काम गंगा की अविरलता पर नजर रखने के साथ लोगों को प्रदूषण करने से रोकना भी है। तकनीकी ट्रेनिंग मिलने से गंगा प्रहरी को नदी के प्रदूषण पर नजर रखने में आसानी होगी।
यह भी पढ़े:-दो वर्षों में गंगा में नहीं गिरेगा शहर व उद्योगों का गंदा पानी नहीं तैयार हो रही थी जांच रिपोर्ट, जतायी थी नाराजगीजलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बनारस आकर एसटीपी को देखा था। वहां पर तैनात केमिस्ट से शोधित व अशोधित जल की रिपोर्ट बताने को कहा था इस पर जानकारी मिली कि एक ही बार इसकी जांच की गयी है। इसके बाद मंत्री नाराज हुए और कहा कि नियमित जांच कर रिपोर्ट तैयार की जाये। इससे समझा जा सकता है कि केन्द्र सरकार गंगा सफाई को लेकर कितनी संवेदनशील है और अधिकारी लगातार इस योजना को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं।
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