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वाराणसी

Freedom stories 2023: थर्ड क्लास के एक डब्बे में चढ़े थे…बिस्मिल

Freedom stories 2023: तय जगह पर ट्रेन रुकी। ट्रेन के गार्ड-ड्राइवर को बंदूक की नोक पर पेट के बल सुला दिया। तभी राम प्रसाद बिस्मिल अपनी जर्मन माउजर लहराते हुए गरजे, “यात्री अपनी-अपनी जगह पर बैठे रहें। हम डकैत नहीं हैं। हम सिर्फ अंग्रेजों का खजाना लूटने आए हैं।”

वाराणसीAug 14, 2023 / 10:00 pm

Ayush Dubey

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Freedom stories 2023

असफाक और आजाद ने हथौड़ा मारकर तोड़ी तिजोरीतिजोरी को ट्रेन से नीचे उतारा। अशफाक और आजाद ने हथौड़ों तिजोरी को तोड़ा। पैसे को गट्ठर में बांधा और 9 क्रांतिकारी पैदल ही लखनऊ की तरफ निकल गए।

मामले में अंग्रेजों ने 40 लोगों को गिरफ्तारी की। लखनऊ के ही रिंग थिएटर अदालत में 10 महीने मुकदमा चला। 6 अप्रैल 1927 को जज हेमिल्टन ने धारा 131A, 120B और 396 के तहत क्रांतिकारियों को सजा सुनाई।

इसमें अशफाक, बिस्मिल, राजेंद्रनाथ और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। शचीन्द्रनाथ सान्याल को कालेपानी की सजा और मन्मथनाथ गुप्त को उम्रकैद हुई।
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इसके अलावा मुकंदीलाल, गोविंदचरणकर, राजकुमार सिंह, रामकृष्ण खत्री को 10-10 साल और सुरेशचंद्र भट्टाचार्य और विष्णुशरण दुब्लिश को 7-7 साल और प्रेमकिशन खन्ना व रामदुलारे त्रिवेदी को 5-5 साल की सजा सुनाई गई। इस केस में कुंदन लाल और आजाद को पुलिस कभी नहीं पकड़ पाई।
भगत सिंह ने एक पत्रिका में काकोरी एक्‍शन पर लिखा था लेख
भगत सिंह तब जेल में थे। एक दिन उन्होंने पंजाबी पत्रिका किरती में काकोरी एक्‍शन के बारे में लिखा, “साथी क्रांतिकारियों को डर था कि अशफाक अंग्रेजी हुकूमत से माफी मांग लेंगे, क्योंकि उनके ऊपर परिवार का दबाव था। मजिस्ट्रेट तजस्सुक हुसैन को फैजाबाद भेजा गया। वह अशफाक को माफी मांगने के लिए कहते रहे, पर अशफाक नहीं माने। अशफाक के चेहरे पर फांसी का कोई भय नहीं था।”
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काशी के इस विद्यालय में होता था क्रांतिकारियों का जमावड़ा

काकोरी कांड को यहीं दी गयी रूपरेखा बंगाली टोला इंटर कालेज की जिसे बंगीय समाज ने साल 1854 में बनाया और 1857 की क्रान्ति तक यह विद्यालय क्रांतिकारियों की गुपचुप मीटिंग का गढ़ बन गया। इसी बंगाली टोला इंटर कालेज के एक कमरे में रामप्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद ने अपने साथियों के साथ काकोरी की रणनीति बनाई थी।

काकोरी कांड की प्लानिंग का केंद्र था बंगाली टोला कालेज
उपप्राचार्य ने बताया कि इस विद्यालय का सबसे बड़ा योगदान काकोरी से है क्योंकि काकोरी की रणनीति यहं चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, भगत सिंह सभी की बैठकें इसी जगह होती थी, काकोरी कांड यहां से परवाज पाया और उसे 9 अगस्त को अंजाम दिया गया और क्रांतिकारियों ने खजाना लूट लिया जिसमे उस समय जर्मन मेड चार पिस्टल का सहारा लिया गया था। यहां के दो छात्र शचीन्द्र नाथ सान्याल को काकोरी षणयंत्र में आजीवन निर्वासन और सुरेश चंद्र भट्टाचार्य को 7 वर्ष सश्रम कारवास की सजा सुनाई गयी थी।
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आज भी संजोई गयी हैं यादें बंगाली टोला कालेज के एक कमरे में जहां बैठकें होती थी आज वहां पढ़ाई होती है। उप-प्राचार्य हमें वहां ले गए तो बच्चे भी पहुंचे और उनसे इस बारे में जानकारी और पुख्ता की। बच्चों ने कहा कि हगामे गर्व है कि हम इस विद्यालय में पढ़ रहे है जहां से आजादी का अलख जगाया गया। हम रोजाना इस शहीद वेदी को नमन करते हैं जहां हमारे विद्यालय के 11 शहीदों के नाम दर्ज हैं।

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