Fashion Shows in IIT BHU Youth Festival Kashi Yatra
वाराणसी. आईआईटी बीएचयू के युवा उत्सव, काशी यात्रा के मौके पर छात्राओं ने फेशन परेड कर लोगों को खूब लुभाया। एक से एक भारतीय परिधान में रैंप उतरीं छात्राओं को देख हर कोई अचंभित सा नजर आया। वैसे इस मौके पर अन्य विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए जिन्हें देख मुख्य अतिथि राहत इंदौरी भी खुद को रोक न सके और कहा टेक्निकल कॉलेज में ऐसे समारोह देख दिल बाग-बाग हो गया।
भारतीय प्रौद्यौयोगिकी संस्थान (बीएचयू) के युवा सामाजिक संस्कृत महोत्सव ‘काशीयात्रा’ का आगाज गुरुवार को उमंगपूर्वक हुआ। सुबह से ही प्रतिभागी और दर्शकों का उत्साह देखा जा सकता था। सर्वप्रथम ‘मिराज’ नामक कार्यक्रम के पहले राउंड का आयोजन हुआ। मिराज के अंतर्गत ही, मिस के.वाई , मिस्टर के.वाई और डिज़ाइन एलेग्नेट नामक प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। इस महोत्सव में देश के कई नामी संस्थान- एमिटी (लखनऊ), लखनऊ विश्वविद्यालय, इसाबेल थोबर्न, इंद्रा प्रेस कॉलेज, मिरांडा हाउस, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, सनबीम कॉलेज और अन्य जगहों से कुल 275 प्रतिभागियों ने पहले राउंड में हिस्सा लिया। नामी हस्तियों में शुमार, मिस माधुरी मिश्रा जो की फैशन डिजाइनर हैं और निफ्ट हैदराबाद की आचार्या मिस यशस्वी आनंद ने निर्णायकों की भूमिका अदा की।
स्वतंत्रता भवन में समारोह का शानदार उदघाटन हुआ। इस मौके पर पद्मभूषण शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। पंडित छन्नूलाल मिश्रा ‘ख्याल’ और ‘पूरब अंग’ में पारंगत हैं और इन्हें सुर श्रृंगार, मुम्बई के ‘शिरोमणि पुरस्कार’ से भी नवाजा जा चुका है। मिश्र ने शाम 6:15 बजे दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया। इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन मौजूद रहे। महोत्सव के मुख्य अतिथि पद्मभूषण श्री छन्नूलाल मिश्रा को बुके एवं उत्तरी से सम्मानित किया गया। छात्र – छात्राओं का उत्साह देख वह काफी प्रसन्नचित हुए और उन्होंने स्वन्त्रता भवन में बैठे सभी लोगों को गंगा मईया एवं काशी की संस्कृति पर निर्धारित अपने गीतों के साथ मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि काशीयात्रा जैसे आयोजनों की वजह से ही छात्रों की प्रतिभा आज भी जीवित है। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से ही ईश्वर को याद किया एवं काशी की खुशहाली के लिए प्रार्थना भी की।
इस युवा महोत्व के तहत आयोजित कवि सम्मेलन में जब राहत इंदौरी पहुंचे तो महफिल में चार चांद ही लग गया। इंदौरी ने अपनी कविता भी पढ़ी, ‘ हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं जो ये दीवार का सुराख है, साजिश का हिस्सा है मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं।।
रूपेश सिन्हा ये दुनिया है जो बात का अफसाना बना देती है, और एक तेरी मोहब्बत है जो दीवाना बना देती है। तेरी नजर की है ये खतायें, मेरी नजर की ख़ता नहीं है, तुम्हे भी शायद पता नहीं है।।
दमदार बनारसी उसे पाने की है ख़्वाहिश जिहादियों की तरह, मुहब्बत है मेरी मुकाम आंधियों की तरह। है मेरी जान तो कश्मीर की कली जैसी, उसके भाई हैं सब अलगाववादियों की तरह।। उसके बाद डीन (स्टूडेंट्स अफेयर्स) प्रो बी एन राय सभी अतिथियों का स्वागत किया व काशीयात्रा के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि ये एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसका उपदेश सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थी संस्कार सीखते है एवं अपनी संस्कृति को समझते है। उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों का सम्पूर्ण विकास होता है एवं वह आने वाले भारत के ज़िम्मेदार नागरिक बनते हैं।
काशीयात्रा के चेयरमैन प्रो केके सिंह ने काशीयात्रा के इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ये काशीयात्रा का 37वां संस्करण है तथा यह आयोजन 1981 से हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह काशीयात्रा इस लिए खास है क्योंकि इस वर्ष हम अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहे हैं। फिर उन्होंने बताया कि इस वर्ष वाराणसी के बाहर के लगभग 3000 और कुल मिलाकर लगभग 5000 प्रतिभागी पंजीकरण करा चुके हैं। काशीयात्रा के संयोजक संप्रीत नयन सिंह ने बताया कि इस संस्करण में 600 से ज्यादा संस्थानों से प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। इसके बाद उन्होंने काशीयात्रा की थीम “आ विवासियस मोज़ेक” अर्थात सांस्कृतिक संगम के बारे में जानकारी दी।
संस्थान के निदेशक प्रो पी के जैन ने सभी प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएं देने के साथ काशीयात्रा के शुभारंभ की घोषणा की। कल्चरल काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी साई पवन ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
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