वाराणसी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय व कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र गाजियाबाद के संयुक्त तत्चावधान में रविवार को स्वतन्त्रता भवन में समर्थ ग्राम अभियान के तहत च्जैविक कृषि सम्मेलनच् आयोजित किया गया। सम्मेलन में वाराणसी के सौ गांवो के लगभग बारह सौ महिला कृषको ने भाग लिया। इस अवसर पर लगभग 22 स्टाल लगाकर जहां एक ओर किसानों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर माडर्न मेडिसीन व आयुर्वेदिक औघधियां निःशुल्क वितरित की गईं। वही योग प्रशिक्षण के साथ किसानो को उनके ब्लड ग्रुप बताये गए और निःशुल्क जैविक खाद व बीज के पैकेट वितरित किये गए।
समर्थ ग्राम अभियान के जैविक कृषि सम्मेलन का शुभारम्भ स्वतन्त्रता भवन के सभागार में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने किया। कुलपति ने कहा कि ज्ञान का प्रयोग लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। शिक्षण संस्थाएं समाज के हित में कार्य करें। इसे ध्यान में रखते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने सौ गांवो को सम्पूर्ण साक्षर, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जैविक कृषि व पशुधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
उन्होने कहा कि शिक्षण संस्थाएं अपने ज्ञान के जरिये गांव में व्याप्त समस्याओ के निराकरण की दिशा में ध्यान दें तभी गांव समृद्ध होंगे। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि जब-जब देश पर संकट आया तब-तब देशवासियों का आह्वान किया गया और देश के लोग उठ खडे़ हुए। आज इस देश की पहचान गांव और किसान हैं, यदि देश को सही मायने में प्रतिष्ठित करना है तो गांव व किसान का आह्वान करना होगा। प्रो त्रिपाठी ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान के 100 चिकित्सक गांवो में जायेगे तथा लोगो से जुडे़गे। गांव के लोगों को आधुनिक व भारतीय चिकित्सा का लाभ मिलेगा। बीएचयू के प्रयास से ऐसी स्थिति निर्मित कर लोगो में जागरुकता ला दी जाएगी ताकि लोग निरोग रहें व रोगों पर होने वाले भारी-भरकम खर्च कम हो जाएं। समर्थ ग्राम अभियान के तहत सम्पूर्ण साक्षरता, स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति जागरुक करने के साथ-साथ गांवो में हर घर में पांच फलदार पौधे लगाए जाएंगे। हर गांव में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये जल संरक्षण किया जाएगा तथा पारम्परिक जल संरचनाएं संरक्षित होगी। कुलपति ने कहा कि राशायनिक उर्वरको का दुष्प्रभाव जीवों पर पड़ने लगा है। अब महज जैविक खेती ही विकल्प है जिसके जरिए उत्पादन पर पड़ने वाले भारी भरकम खर्च से बचा जा सकता है। उन्होने कहा कि स्वावलम्बी ग्राम, समर्थ भारत, पूर्ण साक्षर ग्राम हो, स्वस्थ्य हो, स्वच्छता, ग्रीन इण्डिया, शिक्षित व डिजीटल इंडिया के साथ जल संरक्षण हो। उन्होंने कहा कि बीएचयू की टीम निरन्तर गांवो में जाकर इस अभियान के तहत विकास कार्यो में अपना सहयोग देती रहेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा भारती संगठन के राष्ट्रीय सह महामंत्री गुरुशरण प्रसाद ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा समर्थ ग्राम अभियान के अन्तर्गत वाराणसी के 100 गांवो को स्वावलम्बी बनाकर पूरे भारत के समक्ष एक अनूठा माडल प्रस्तुत किया जाएगा ताकि अन्य लोग इसका अनुशरण कर सके। उन्होने कहा कि पंजाब व हरियाणा जैसे राज्यो में फसलो में रसायनो का अंधाधुंध प्रयोग करने से भूमि की उर्वराशक्ति तो क्षीण हो ही रही है, साथ में लोग कैंसर जैसे घातक रोगो से ग्रसित हो रहे है। एैसे में जैविक कृृषि ही एकमात्र विकल्प है।
समर्थ ग्राम अभियान के संयोजक व सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. मंजीत चतुर्वेदी ने स्वागत उदवोधन देते हुए अभियान के उद्देश्यो से सभी को अवगत कराया। साथ ही ग्रामीणों से इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की। उन्होने हेल्प लाइन नम्बर जारी करने का सुझाव दिया ताकि किसान अपनी समस्याए बता कर उसका समाधान पा सकें।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो रवि प्रताप सिंह तथा राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र गाजियाबाद के उपनिदेयशक डॉ. रविन्द्र कुमार भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुराधा सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन छात्र अधिष्ठाता प्रो. एमके सिंह ने किया। इस मौके पर समर्थ ग्राम अभियान से जुडे़ परामर्शदाता गौरव गर्ग, डॉ आलोक पाण्डेय, डॉ मानुश्री श्रीवास्तव तथा समन्वित ग्रामीण विकास केन्द्र के परियोजना अधिकारी डॉ. भूपेन्द्र प्रताप सिंह ने अतिथियो को पुष्प गुच्छ भेट किया।
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