वाराणसी. निर्वाचन अधिकारी द्वारा बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को दी गयी नोटिस में एक त्रृटि सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। नोटिस में तेज बहादुर यादव को एक मई 2019 को सुबह 11बजे तक अपना जवाब देने को कहा गया था लेकिन गलती से नोटिस पर 2019 की जगह 2109 छप गया था। जिलाधिकारी को जब इस त्रृटि का पता चला तो उन्होंने गलती में सुधार कर लिया। यह भी पढ़े:-तेज बहादुर यादव के नामांकन विवाद में आया नया मोड, वकील ने बीएसएफ से बर्खास्तगी पर किया यह खुलासा
IMAGE CREDIT: Patrika तेज बहादुर यादव ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ निर्दल व अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के तहत नामांकन किया था। पहला नामांकन खारिज हो गया था जबकि गठबंधन के तहत पर्चा भी खारिज होने की जबरदस्त चर्चा है। इसी बीच निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर यादव को जो नोटिस दिया था उसमे 2019 की जगह 2109 छपने की बात सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। सोशल मीडिया पर जवाब देने के वर्ष को लेकर लोगों ने कमेंट करने शुरू कर दिये। कुछ ने कहा कि तेज बहादुर यादव को जवाब देने के लिए सौ साल का समय है इसलिए बिना जवाब दिये चुनाव लड़ सकते हैं। कुछ लोगोंं ने नोटिस को लेकर निर्वाचन कार्यालय पर सवाल भी खड़े किये हैं लोगों का कहना था कि नोटिस देने मे इतनी जल्दीबाजी थी कि वर्ष तक सही से नहीं लिख पाये हैं। फिलहाल नोटिस को लेकर जमकर चर्चा होती रही। जिलाधिकारी के संज्ञान में जब यह बात आयी तो उन्होंने तुरंत ही गलती को सुधार लिया। यह भी पढ़े:-चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव का किया नामांकन रद्द !
तेज बहादुर यादव का पर्चा निरस्त होने से लगा सपा व बसपा को झटका! तेज बहादुर यादव का पर्चा निरस्त होने की अटकलो से ही सपा व बसपा को झटका लग गया है। महागठबंधन ने डमी प्रत्याशी के रुप में शालिनी यादव को भी नामांकन कराया था। पर्चा निरस्त होने की स्थिति मे ंशालिनी यादव ही महागठबंधन की प्रत्याशी हो सकती है। तेज बहादुर यादव व शालिनी यादव को लेकर सपा में पहले ही दो फाड़ हो गया था ऐसे में एक प्रत्याशी का पर्चा निरस्त होने से सपा में नेताओं की गुटबाजी बढऩा तय है। यह भी पढ़े:-तेज बहादुर यादव ने कहा कि नहीं मिला न्याय तो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे लड़ाई
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