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रेलवे ट्रैक के अनुसार ही ट्रेन में इंजन लगाये जाते हैं। जिन जगहों पर विद्युतिकरण नहीं हुआ है वहां पर डीजल इंजन चलते हैं। लंबी दूरी की ट्रेनों को सबसे अधिक समस्या होती है। काफी दूर तक डीजल इंजन से सफर करना होता है उसके बाद जहां पर विद्युतिकरण हुआ रहता है वहां पर डीजल इंजन को बदल कर इलेक्ट्रिक इंजन लगाया जाता है इससे यात्रा का समय बढ़ जाता है और यात्रियों को परेशानी होती है लेकिन डुअल इंजन में ऐसा नहीं होगा। अब लंबी दूरी की यात्रा में इंजन को बदलना नहीं होगा। जिन जगहों पर विद्युतिकरण नहीं हुआ है यह इंजन डीजल से चलेगा और विद्युतिकरण वाली जगह यह इलेक्ट्रिक इंजन में बदल जायेगा। एक ही इंजन से दोनों काम होने से समय के साथ रेलवे के पैसों की भी बचत होगी।
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