चंदौली के सेरुका निवासी विनोद सिंह ने 21 दिसम्बर 2015 को रोहनिया थाना में अपने भाई सच्चिदानंद सिंह की हत्या होने का मुकदमा दर्ज कराया था। वादी का कहना था कि उसका भाई सच्चिदानंद सिंह अपनी पत्नी अपर्णा और बेटी के साथ चितईपुर स्थित विश्वकर्मा नगर कॉलोनी में रहता था। अपर्णा की करीबी कुछ अजनबी लोगों से थी इसलिए पति व पत्नी में अकसर विवाद होता था। १८ दिसम्बर 2015 को जब विनोद सिंह ने अपने भाई सच्चिदानंद को फोन किया ता उसका मोबाइल स्वीच ऑफ मिला। इसके बाद जब भाई के घर पहुंचा तो वहां पर ताला बंद मिला। इस पर विनोद को शक हो गया था कि उसके भाई के साथ कुछ गलत हुआ है। एक दिन बाद रोहनिया में एक अज्ञात शव मिलने की जानकारी मिली तो पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा। विनोद ने शव की पहचान अपने भाई सच्चिदानंद के रुप में की। इसके बाद रोहनिया पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी। पुलिस ने विवेचना में पाया कि सच्चिदानंद की हत्या मफलर से गला दबा कर की गयी थी। हत्या में सच्चिदानंद की पत्नी अर्पणा, यशवर्धन, धर्मेन्द्र पटेल, अनिल प्रजापति व दिनेश पटेल शामिल थे। पुलिस ने मृतक की पत्नी सहित चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था और कोर्ट ने भी पुलिस के आरोप पत्र को सही पाते हुए पांच लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी। करवा चौथ के दिन ही अपने हाथों से सुहाग उजाडऩे वाली पत्नी को हमेशा के लिए जेल के सलाखों के पीछे भेज दिया गया।
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