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सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली में परिवर्तन नहीं हुआ है। यहां पर हर काम के लिए कमीशन देना पड़ता है। कमिशन देने के बाद ही ठेका पास होता है। किसी भी प्रोजेक्ट का ३० से ४० प्रतिशत हिस्सा कमीशन मं चला जाता है। सीसीटीवी नहीं लगा होने के चलते अधिकारी आराम से नियमों कहो ताक पर रख कर ठेकेदारों से वसूली करते हैं। कमीशन मिल जाने के बाद भी ठेकेदारों से और पैसा लेने का दबाव बनाया जाता है। अधिकारी लगातार ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने व जेल भेजने की धमकी देते हैं। अवधेश श्रीवास्वत के सुसाइड नोट में इस बात का पूरा जिक्र है उन्होंने लिखा था कि अधिक कमीशन नहीं देने पर उनका भुगतान रोक दिया गया था और अधिकारी लगातार प्रताडि़त कर रहे थे। पत्नी के जेवर तक बेचने पड़े थे इसके बाद भी अधिकारी भुगतान नहीं कर रहे थे। पूर्वांचल के बड़े ठेकेदार होने के बाद भी अधिकारियों ने इतना परेशान कर दिया था कि उन्हें गोली मार कर अपनी जान देनी पड़ी। सुसाइड नोट में सारी सच्चाई भी लिख कर मरे हैं, जिससे दुनिया को पीडब्ल्यूडी का काला सच पता चल सके।
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