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पूर्वांचल में रमाकांत यादव को यादवों का बड़ा नेता माना जाता है। अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के तहत आजमगढ़ सीट पर सपा ने प्रत्याशी उतारा है। यहां पर खुद अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं जबकि सपा छोड़ कर शिवपाल यादव ने अपनी नयी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी बनायी है और यादव वोटरों में सेंधमारी में जुट गये हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए रमाकांत यादव काम के नेता साबित हो सकते हैं। रमाकांत यादव के सहारे कांग्रेस यादव वोटरों को यह संदेश देना चाहती है कि उनका हित कांग्रेस में भी सुरक्षित है। इसी क्रम में राजकिशोर सिंह को पार्टी में शामिल करके गोरखपुर-बस्ती मंडल में क्षत्रियों को लुभाने का प्रयास किया है। बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना कर क्षत्रिय कार्ड खेला था माना जा रहा है कि कांग्रेस अब अन्य क्षत्रिय नेताओं को अपने साथ लेकर यूपी विधानसभा 2022 के पहले पार्टी का मजबूत जनाधार खड़ा करने के प्रयास में है। कांग्रेस की योजना कितनी सफल होती है यह तो लोकसभा चुनाव परिणमा ही बतायेगा। इतना साफ हो चुका है कि बीजेपी , सपा-बसपा गठबंधन के बाद कांग्रेस भी बाहुबलियों के पसंद की पार्टी बन गयी है।
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