भारत सरकार ने 15 अगस्त को ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण की शुरूआत की थी। सर्वे का उद्देश्य था कि बीजेपी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में गांव की स्वच्छता में कितना परिवर्तन हुआ है। अभियान के तहत प्रत्येक जिले के बीस-बीस गांव का रेंडम सर्वे कर स्वच्छता की हकीकत जानी है। ऑनलाइन व एप के जरिए भी लोगों का फीडबैक लिया गया। इसके बाद दो अक्टूबर को परिणाम घोषित किया जायेगा। हालांकि सर्वे रिपोर्ट की जानकारी मीडिया तक पहुंच चुकी है और उसी आधार पर पता चला कि गोरखपुर नम्बर एक पर है जबकि लखनऊ द्वितीय व बनारस तृतीय स्थान पर है। बनारस के बाद अनुप्रिया पटेल का संसदीय क्षेत्र मिर्जापुर का नम्बर आता है। टाप टेन में पूर्वांचल के पांच जिले है जिसमे सोनभद्र, मऊ व महराजगंज भी शामिल है।
यह भी पढ़े:-Navratri 2019-देश का सबसे प्राचीन मंदिर जहां खुद विराजमान है मां शैलपुत्री, नवरात्र के पहले दिन देती हैं साक्षात दर्शन स्वच्छता अभियान में क्यों पिछड़ रहा बनारससबसे बड़ा सवाल है कि स्वच्छता अभियान में बनारस क्यों पिछड़ रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने क्षेत्र में संसाधन की कमी नहीं होने दी है इसके बाद भी स्वच्छता को लेकर बहुत परिवर्तन नहीं दिखायी दे रहा है। इसकी मुख्य वजह अधिकारियों की स्वच्छता अभियान को लेकर उदासीनता व लोगों में जागरूकता की कमी है। जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने पहले ही घोषणा करते हुए कहा था कि गंदगी फैलाने वालों को पहले टोकेंगे, फिर रोकेंगे और नहीं माने तो जुर्माना ठोंकेगे। इसके बाद भी व्यवस्था नहीं बदल रही है।
यह भी पढ़े:-केन्द्रीय मंत्री डा.महेन्द्रनाथ पांडेय के घर में घुसा सड़क पर लगा पानी, मचा हड़कंप