चितईपुर के विश्वकर्मा नगर निवासी सुनील उपाध्याय टूर एंड ट्रैवल का काम करता था। 23 अगस्त को वह घर से निकला और ऑटो से टेंगरा मोड़ पर गया था। इसके बाद विश्वसुंन्दरी पुल पर पहुंचा। वहां पर अपना शूज निकाला ओर पुल पर ही मोबाइल रखा। इसके बाद गंगा में छलांग लगा दी। गंगा में इस समय बाढ़ आयी है इसलिए सुनील तेज बहाव में बह गया। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पहले तो पुलिस सीमा विवाद को लेकर उलझी रही। इसके बाद मौके पर पहुंची लंका पुलिस ने व्यापारी के मोबाइल से उसके घर फोन किया। इसके बाद सारी परिजनों को सारी स्थिति बतायी। पुलिस जब व्यापारी के घर पहुंची तो सुनील के कमरे में सुसाइड नोट मिला। सुसाइड नोट में लिखा था कि उसने आलोक त्यागी से चार लाख रुपये कर्ज लिया था और प्रति माह मूल रकम का चालीस प्रतिशत ब्याज देना था। सुसाइड नोट के अनुसार सुनील अभी तक चालीस लाख ब्याज के रुप में दे चुका था इसके बाद भी उसे परेशान किया जा रहा था। सुसाइड नोट के अनुसार सूदखोरों ने गलत तरीके से पत्नी सीमा उपाध्याय के नाम से चेक कटवा कर रख लिया था और ब्याज नहीं देने पर फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी देते थे। सुनील ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि चितईपुर निवासी अमित सिंह से बाइक खरीदने के लिए रुपये लिए था जिसको लेकर भी उसे परेशान किया जाता था। सुसाइड नोट में तीसरे व्यक्ति का नाम महमूरगंज स्थित पूजा मार्बल के मालिक विनोद गुप्ता का बताया है। सुनील ने अंत में लिखा है कि इन्हीं तीन व्यक्ति के चलते उसे आत्महत्या करनी पड़ी है इसलिए तीनों व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा दिलायी जाये। पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच में जुटी है। दूसरी तरफ एनडीआरएफ सुनील के शव की खोज में जुटी है।
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पुलिस की मिलभगत से सूदखोर अपना धंधा चलाते हैं। इस अवैध धंधे के चलते कई लोगों को जान देनी पड़ गयी है इसके बाद भी अवैध धंधे पर रोक नहीं लग पायी है। आर्थिक तंगी में फंसे लोगों को पैसा देकर सूदखोर अपने जाल में फंसा लेते हैं इसके बाद ब्याज के पैसे भरते-भरते उसका जीवन ही खत्म हो जाता है। यदि व्यक्ति सूदखोर का विरोध करता है तो पुलिस की मिलीभगत से वह पैसा लेने वाले व्यक्ति को परेशान करते हैं।
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