वाराणसी. बीजेपी ने अखिलेश यादव व मायावती नहीं इन दो नेताओं के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बड़ा दांव खेला है। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को पीएम नरेन्द्र मोदी की सुनामी के चलते जबरदस्त बहुमत मिला है। बीजेपी की निगाहे अब यूपी चुनाव 2022 पर टिकी है, जिसमे पीएम नरेन्द्र मोदी पार्टी के एक बार फिर स्टार प्रचारक होंगे। इस चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार के पांच साल के कामकाज की भी परीक्षा होनी है, ऐसे में बीजेपी ने जातीय समीकरण साधने के लिए खास योजना पर काम शुरू किया है। यह भी पढ़े:-सीएम योगी नहीं कर पा रहे पीएम मोदी की योजनाओं को पूरा
IMAGE CREDIT: Patrika यूपी में सपा व बसपा का लंबे समय तक शासन था। बीजेपी को सत्ता में वापसी करने में 17 साल लग गये थे। यूपी में पार्टी की वापसी के लिए बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल से गठबंधन किया था जिसका पहला फायदा बीजेपी को संसदीय चुनाव 2014 में हुआ था। इसके बाद बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन किया था और यूपी में पहली बार 300 से अधिक सीटों पर जीत मिली थी। यूपी में बीजेपी ने सहयोगियों के साथ सरकार बनायी थी लेकिन सुभासपा से गठबंधन ज्यादा दि नहीं चल पाया। बीजेपी के साथ राजभर वोटरों को जोडऩे में ओमप्रकाश राजभर ने बड़ी भूमिका निभायी थी और जब गठबंधन टूट गया तो बीजेपी को राजभर वोटरों की चिंता होने लगी थी। इसी चिंता को दूर करने के लिए अनिल राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जिससे राजभर वोटरों को ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन तोडऩे की नाराजगी न होने पाये। इसके बाद बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में अनुप्रिया पटेल के दबाव का बदला लेते हुए उनकी पार्टी के किसी नेता को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं दी। इसकी जगह मिर्जापुर मडिय़ान विधायक रमाशंकर पटेल को मंत्री बना कर अपना दल को झटका दिया है। बीजेपी चाहती है कि अनिल राजभर व रमाशंकर पटेल इतने समर्थ हो जाये कि अपने जाति के वोटरों को पार्टी से जोड़ सके। यह भी पढ़े:-अनुप्रिया पटेल का प्रियंका गांधी से मिलना पड़ा भारी, बीजेपी ने इस नेता को मंत्री बना कर उड़ायी नीद
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