बाहुबली अतीक अहमद पर दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। फूलपुर में हुए उपचुनाव की बात की जाये तो अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़ा था। चुनाव की कमान अतीक के बेटे उमर अहमद ने संभाली थी। अतीक अहमद भले ही चुनाव नहीं जीत पाये थे लेकिन जेल के अंदर रहते हुए भी चुनावी लड़ाई लड़ी थी। इस बार की कहानी बिल्कुल अलग है। अतीक अहमद ने पहले अपने प्रतिनिधि के जरिए वाराणसी संसदीय सीट पर नामांकन दाखिल किया। इसके बाद अतीक अहमद को चुनाव चिह्न ट्रक तक मिल गया। इसके बाद बाहुबली ने पेरोल के लिए न्यायालय में अर्जी दी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद अतीक अहमद ने मीडिया में एक पत्र जारी करते हुए कहा कि पैरोल नहीं मिली है इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। अतीक अहमद भले ही चुनावी मैदान से हट गये हैं लेकिन उनका नाम ईवीएम में होगा और मतदान करने वाले बाहुबली को वोट भी दे सकेंगे। बताते चले कि बनारस संसदीय सीट पर पीएम नरेन्द्र मोदी को चुनावी पटखनी देने के लिए अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन से शालिनी यादव मैदान में है, जबकि राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस से अजय राय चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अतीक अहमद के चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान करने से सबसे अधिक फायदा महागठबंधन व कांग्रेस को हो सकता है।
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