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वाराणसी

#KeyToSuccess दुनिया के एकमात्र वकील जो संस्कृत भाषा में 41 साल से लड़ रहे मुकदमा, विरोधियों के पास नहीं होता जवाब

शपथ पत्र, वकालतनामा व प्रार्थना पत्र भी देते हैं संस्कृत में, अंग्रेजी भी ऐसी कि सुनने वाले रह जाये दंग

वाराणसीOct 10, 2019 / 09:42 pm

Devesh Singh

Advocate Shyam ji Upadhyay

Advocate Shyam ji Upadhyay

वाराणसी. दुनिया के एक ऐसे एकलौते वकील है जो सारा मुकदमा संस्कृत में लड़ते हैं। न्यायालय में वकालतनामा, शपथ पत्र, प्रार्थना पत्र आदि भी संस्कृत भाषा में ही जमा करते हैं। कोर्ट में जब संस्कृत भाषा में जिरह करते हैं तो विरोधियों के पास कोई जवाब नहीं होता है। 41 साल से संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए ही वह ऐसे मुकदमा लड़ रहे हैं, जिससे देववाणी के प्रति लोगों में जागरूक किया जा सके।
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बनारस के एडवोकेट श्याम जी उपाध्याय का देववाणी से प्रेम किसी से छिपा नहीं है। श्री उपाध्याय को संस्कृत की प्रारंभिक जानकारी घर से ही मिली थी उनके पिता स्वर्गीय स्वर्गीय संगठा प्रसाद उपाध्याय खुद संस्कृत के अच्छे जानकार थे। मिर्जापुर के मूल निवासी श्याम जी उपाध्याय बताते है कि वह जब कक्षा चार में पढ़ते थे तो पिता के साथ कही जा रहे थे। पिता जी को रास्ते में कुछ लोग मिले और उनमे आपस में भोजपुरी में वार्ता होने लगी। बातों ही बातों में पिता ने कहा कि जैसे हम लोग भोजपुरी में बात कर रहे हैं उसी तरह सभी संस्कृत में बात करे तो अच्छा रहता। १० साल के बेटे के दिल में पिता की बात ऐसी उतरी कि उसने संस्कृत में ही बात करने की ठानी। गांव से आरंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद श्याम जी उपाध्याय ने संम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से बौद्ध दर्शन में आचार्य किया था उस समय उनके गुरु संस्कृत के बड़े विद्वान प्रो.जग्गनाथ उपाध्याय चाहते थे कि श्याम जी भी अध्याप बने। साल भर तक श्याम जी ने परिसर में अध्यापन कार्य भी किया था लेकिन वह कुछ और ही करना चाहते थे इसके बाद उन्होंने हरिश्चचन्द्र महाविद्यालय (उस समय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबंद्ध) से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण की। एलएलबी में बहुत अच्छे अंक से पास होने के बाद कचहरी में आकर प्रैक्टिस शुरू की। 1978 से संस्कृत भाषा में ही मुकदमा लडऩा शुरू किया था जो आज भी जारी है।
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श्याम जी उपाध्याय ने बताया कि वह कोर्ट में संस्कृत भाषा में ही वाद पत्र, वकालतनामा, शपथ पत्र, प्रार्थना पत्र आदि प्रस्तृत करते हैं। संस्कृत को आगे बढ़ाने के लिए प्रति साल 4 सितम्बर को सितम्बर को संस्कृत दिवस मनाते हैं और 50 अधिवक्ताओं को पुरस्कृत भी करते हैं।
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जिला जज ने कहा कि संस्कृत में याचिका दायर करंे, दिल्ली की पटियाला कोर्ट में भी मुकदमा लडऩे की तैयारी
श्याम जी उपाध्याय ने बताया कि चार सितम्बर को जिला जज ने उनसे कहा कि अधिवक्ता संस्कृत में याचिका दायर करे और उसका हिन्दी में अनुवाद करे। उन्होंने बताया कि बनारस के एक व्यक्ति पर देश के 40 सांसदों का फर्जी हस्ताक्ष करने का आरोप लगा है जिसका मुकदमा वह संस्कृत में ही दिल्ली के पटियाला कोर्ट में लडऩे की तैयारी में है। श्याम जी उपाध्याय ने कहा कि हमारा प्रयास है कि संस्कृत को पूरी तरह से बोलचाल में लाया जाये। इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। संस्कृत में जिरह करने में आने वाली समस्या के प्रश्र पर कहा कि जब भाषा आ जाती है तो बोलने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है।
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भारत सरकार ने किया था संस्कृत मित्र पुरस्कार से सम्मानित
श्याम जी उपाध्याय ने बताया कि भारत सरकार ने संस्कृत मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया था। तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री डा.मुरली मनोहर जोशी ने देश भर के 25 संस्कृत मित्रों को पुरस्कृत किया था इसमे आप भी शामिल थे।
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