एडवोकेट राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि तेज बहादुर यादव बीएसएफ से भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त सिपाही नहीं है। विभाग द्वारा तेज बहादुर यादव के खिलाफ अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी और संक्षिप्त सैन्य बल अदालत द्वारा १३ अप्रैल २०१७ से १९ अप्रैल २०१७ तक उनकी सुनवाई हुई थी। इसके बाद अनुशासनहीनता का चार्ज बना था। अनुशासनहीनता के मामले में सेवा में हटाये गये हो तो आपको भारत निर्वाचन आयोग से प्रमाण पत्र नहीं लेना होता है। राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि बीजेपी इस मामले में नामांकन अवैध आरोप लगा कर नामांकन अवैध कराने के लिए पत्र लिखा है जिसमे तेज बहादुर यादव को भगौडा आदि होने का आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी ने बुधवार की सुबह ११ बजे ही यह पत्र लिखा है। बीजेपी का कहना है कि नामांकन के समय ही प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना चाहिए था। एडवोकेट का आरोप है कि तेज बहादुर यादव के साथ न्याय नहीं हो रहा है। बताते चले कि पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ तेज बहादुर यादव ने पहले निर्दल प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया था बाद में अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन ने तेज बहादुर यादव को अपने सिंबल पर नामांकन कराया था। इसके बाद तेज बहादुर यादव का निर्दल प्रत्याश्ी के रुप में नामांकन निरस्त हो गया था जबकि सपा प्रत्याशी के रुप में नामांकन में दी गयी जानकारी के आधार पर उन्हें चुनाव आयोग ने नोटिस दी थी जिसका तेज बहादुर ने जवाब दे दिया है और थोड़ी ही देर में चुनाव आयोग का निर्णय आना वाला है कि तेज बहादुर यादव चुनाव लड़ पायेंगे कि नहीं।
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