शशांक मणि लंबे समय से जनसेवा के कार्यों में जुटे हैं। स्वावलंबी भारत अभियान केंद्रीय टोली के नीति प्रमुख हैं। इनकी तीन पुस्तकें मिडिल ऑफ डायमंड इंडिया, भारत एक स्वर्णिम यात्रा और इंडिया काफी चर्चित हैं।
आईआईटी दिल्ली से बीटेक और आईएमडी लुसान से एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद शशांक मणि त्रिपाठी अपने पिता श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी और दादा पंडित सुरति नारायण मणि त्रिपाठी के आदर्शों पर चल पड़े। पिता लेफ्टिनेंट जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी लोकसभा सीट देवरिया सदर से 1996 और 1998 में 11वीं और 13वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में दो बार निर्वाचित हो चुके हैं।
दादा रहे हैं आईसीएस अधिकारी दादा सुरति नारायण मणि त्रिपाठी एक लोकप्रिय आईसीएस अधिकारी रहे हैं। वर्ष 2008 में शशांक मणि ने जागृति रेल यात्रा की शुरुआत की। आगे चलकर अपने गांव बरपार में जागृति उद्यम केंद्र पूर्वांचल की नींव रखी। बैतालपुर में कॉल सेंटर की स्थापना की। आज उनकी संस्था जागृति देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, महाराजगंज समेत पूर्वांचल के कई जिलों में उद्यम को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है।