पूछा प्रशासन तय करेगा कि मैं वोट दूं की ना दूं- उन्होंने कहा कि मतदाता पहचान पत्र चुनाव आयोग द्वारा जारी किया जाता है। इसके बाद किसी को मतदान से वंचित क्यों किया जाता है। उन्होंने कहा कि क्या प्रशासन तय करेगा कि मैं वोट दो कि ना दूं। मेरे जैसे तमाम आम नागरिक हैं। जिनको उनके मताधिकार के प्रयोग से मात्र इसलिए रोका गया कि उनका या मेरा नाम वोटर लिस्ट में नहीं था। उन्होंने कहा कि यह तो जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है कि वह देखें की कौन वर्तमान में जीवित है कि नहीं या मकान छोड़ कर कहीं चला गया है। यदि मतदान पहचान पत्र होने के बाद भी मत ना डाल पाए तो फिर मतदान पहचान पत्र का क्या महत्व है। पूर्व सांसद ने कहा कि मैंने चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा दी है और विधिक राय भी ले रही हूं। उसके हिसाब से मैं आगे इस महत्वपूर्ण काम पर जिम्मेदार नागरिक होने के नाते कानूनी लड़ाई लड़ूंगी।
मतदान ना करने का झलका दर्द
उन्होंने कहा कि मत का प्रयोग नहीं कर पाने का दर्द हमेशा रहेगा। पूर्व सांसद ने एजेंट को पोलिंग के बाहर बैठाने के निर्णय के औचित्य पर भी सवालिया निशान लगाया। उन्होंने इसे गलत बताते हुए कहा कि पोलिंग एजेंट की जिम्मेदारी होती है कि वह देखें कि चुनाव कार्य पारदर्शी तरीके से हो रहा या नहीं। ऐसा तो नहीं कोई फर्जी मतदान करने आया है। जिसको स्थानीय पोलिंग एजेंट जो सभी राजनीतिक पार्टियों के होते हैं पहचान ले।
उन्होंने इस बात की मांग की कि पोलिंग एजेंट को कमरे में ही जगह दी जाए। ईवीएम मशीन की गोपनीयता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आज मशीन से जानकारी मिल जाती है कि किस बूथ पर किसको कितने वोट मिले हैं। जबकि बैलेट पेपर से यह जानकारी नहीं मिल पाती है कि कितने वोट कहां किस जन प्रतिनिधि को मिला है। जिससे जन प्रतिनिधि के मन में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं आता है। अन्नू टंडन ने कहा कि मेरे वोट देने के अधिकार से वंचित रहने पर किसी छोटे कर्मचारी पर कार्यवाही ना कर सिस्टम को ठीक किया जाए। सिस्टम को ठीक करने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। प्रेस वार्ता के दौरान जिला अध्यक्ष सूर्य नारायण यादव, प्रदेश महासचिव वीर प्रताप सिंह, प्रवक्ता जिला कांग्रेस कमेटी अजय श्रीवास्तव, अवधेश सिंह, शहर अध्यक्ष अमित शुक्ला आदि मौजूद थे।