उमा भारती ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- मुझे पुजारियों द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड पर कोई आपत्ति नहीं है, मैं जब अगली बार मंदिर में दर्शन करने आऊंगी तब वह यदि कहेंगे तो मैं साड़ी भी पहन लूंगी। मुझे तो साड़ी पहनना बहुत पसंद है तथा मुझे और खुशी होगी यदि पुजारीगण ही मुझे अपनी बहन समझकर मंदिर प्रवेश के पहले साड़ी भेंट कर दें मैं बहुत सम्मानित अनुभव करूंगी।
उमा भराती ने ट्वीट करते हुए कहा- उज्जैन में महाकाल स्वयं अपनी शक्ति से तथा यहां के पुजारियों की परंपराओं के प्रति निष्ठा के कारण बने हुए हैं। यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि महाकाल के पुजारी युद्ध कला में भी पारंगत हैं वह महाकाल के सम्मान की रक्षा के लिए जान न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे महान परंपराओं के रक्षकों की हर आज्ञा सम्मान योग्य है उस पर कोई विवाद नहीं हो सकता।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल
बारह ज्योत्रिलंगो में से एक महाकाल मंदिर ही एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां हर दिन प्रात: भस्म आरती की जाती है। उसके लिए बाकायदा ड्रेस कोड है। जब मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश बंद होता है तब भी अगर कोई अंदर जाकर दर्शन करता है तो महिलाएं गर्भगृह में सिर्फ साड़ी पहनकर ही प्रवेश कर सकती हैं। वहीं, पुरुष धोती पहनकर प्रवेश कर पाते हैं। महाकाल के मंदिर में उमा भारती के पहनावे को लेकर पुजारी महेश ने सवाल खड़े किये और कहा कि मंदिर समिति का महिलाओं के लिए ड्रेस कोड साड़ी है और यह साध्वियों पर भी लागू होता है। पंडित महेश पुजारी का कहना है कि ना सिर्फ साध्वी उमा भारती बल्कि मंदिर में आने वाली सभी साध्वियों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए।