महाकाल मंदिर में सोमवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उत्तम बारिश की कामना को लेकर किए जा रहे अनुष्ठान की पूर्णाहुति हुई। इसका समापन हवनात्मक आहूति के साथ हुआ। कलेक्टर आशीष सिंह दोपहर 12.30 बजे मंदिर में बनी यज्ञशाला पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने महंत विनीत गिरि महाराज के कक्ष में जाकर धोती-सोला धारण किया। इसके बाद वे यज्ञशाला के बाहर आए। यहां पहले से एक थाली में चार मुखी दीपक और कुछ पूजन सामग्री रखी हुई थी।
कलेक्टर आसन पर बैठे और आसपास खड़े ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण शुरू कर दिया। पूजन सामग्री के पास ही एक भूरा कोला भी रखा हुआ था। कलेक्टर के हाथों में ब्राह्मणों ने एक तलवार दे दी और उनसे कहा कि आप इस भूरा कोला के दो टुकड़े करें, इसके बाद दो के चार और चार के आठ टुकड़े कर दें। कलेक्टर ने भी खटाखट तलवार चलाई और वैसा ही किया। इसके बाद पुजारियों ने एक सफाई कर्मचारी को बुलाया और थाली में रखी पूजन सामग्री के साथ भूरा कोला के टुकड़ों को रखकर तीन रास्ते वाली जगह पर रख आने को कहा। कलेक्टर इसके बाद यज्ञशाला में गए। यहां पहले उन्होंने हवन में समापन हवनात्मक के निमित्त आहूति डाली और बाद में महाआरती की गई।
25 जून से चल रहा था अनुष्ठान
महाकाल मंदिर के नंदी हॉल में 25 जून से उत्तम वर्षा की कामना से महाअनुष्ठान चल रहा था। इस अनुष्ठान की शुरुआत में भी कलेक्टर ने सपत्नीक पूजन किया था। इसमें शृंगी ऋषि की प्रतिमा को शिवलिंग की जलाधारी में रखकर सतत जलधारा प्रवाहमान की जाती है। 55 पंडितों ने नंदी हॉल में बैठकर पांच दिन, पांच घंटे 11 से दोपहर 3 बजे तक पर्जन्य मंत्रों की संपुटि देकर पूजन-अर्चन किया। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि नगर का राजा पहले यह पूजन संपन्न करता था, लेकिन अब कलेक्टर की ओर से यह परंपरा निर्वाह की जाती है। चूंकि वे इस मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं, इस नाते उन्होंने विधिवत पूजन संपन्न की और नगर सहित देशभर में उत्तम वर्षा की कामना की।