नगर की रखवाली के लिए स्थापित किए आठ कोतवाल
अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर भैरव जन्मोत्सव की मान्यता है। इस बार भैरव अष्टमी सर्वार्थसिद्घि योग में आ रही है। धर्म की राजधानी उज्जयिनी में अष्ट भैरव के मंदिर स्थापित हैं। भैरव अष्टमी पर मंदिरों में विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। अगले दिन बाबा कालभैरव की सवारी भी निकाली जाएगी।
भैरव तंत्र से संबंधित है उज्जैन नगरी
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार 19 नवंबर मंगलवार के दिन अश्लेषा नक्षत्र में आने वाली भैरव अष्टमी पर नक्षत्र व दिन के मान से सर्वार्थसिद्घि योग बन रहा है। उज्जयिनी भैरव तंत्र से संबंधित नगर है। इस दृष्टि से योग नक्षत्र का यह संयोग भैरव उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ है। स्कंदपुराण के अवंतिखंड में भी अष्ट महाभैरव का उल्लेख मिलता है। अलग-अलग दिशाओं में इनकी स्थापना आठ दिशाओं के अधिपति के रूप में की गई है।
बाबा को लगेगा मदिरा का भोग
उज्जैन का आध्यात्मिक व तांत्रिक प्रभाव पूरे भारत वर्ष में अलग है। यहां का तंत्र भैरव द्वारा संरक्षित है, इसलिए भैरव की आज्ञा के बिना कोई तंत्र का उपयोग नहीं कर सकता है। काल भैरव मंदिर में 19 को सुबह व रात्रि में होने वाली आरती शासन की ओर से होगी। बाबा को भोग लगाया जाएगा और मदिरापान कराया जाएगा।
आताल-पाताल भैरव मंदिर में तीन दिन मनेगा उत्सव
आताल-पाताल भैरव मंदिर सिंहपुरी में भैरव अष्टमी पर 19 से 21 नवंबर तक तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन होगा। 19 नवंबर को दोपहर 12 बजे भगवान का अभिषेक पूजन-अर्चन होगा। रात 12 बजे जन्म आरती के बाद प्रसादी का वितरण होगा। 20 नवंबर को शाम 6 बजे महाभैरव की सवारी निकलेगी। 21 नवंबर को शाम 7 बजे बटुक व कन्या भोज होगा। इसके अलावा शहर के सभी भैरव मंदिरों में उत्सव मनाते हुए धार्मिक आयोजन होंगे।