50 साल पुराना एवं जर्जर हो चुका था भवन, प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मकान किया जमींदोज
उज्जैन•Jul 09, 2019 / 12:27 am•
Mukesh Malavat
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नागदा. जवाहर मार्ग स्थित 50 साल पुराने मकान के एक हिस्से की छत सोमवार को भरभरा कर गिर गई। छत के मलबे में पांच लोग दब गए, जिसमें दो की मौत हो गई है। मरने वालों में मकान मालिक का मित्र भी शामिल है। इसके अलावा एक मजदूर की भी मौत हो गई है। मकान मालिक एवं दो अन्य मजदूर गंभीर रूप से घायल हैं। इन्हें उपचार के लिए उज्जैन रेफर किया है। हादसे में मकान मालिक विजयसिंह रघुवंशी व उनका मित्र रामप्रकाश राय सहित तीन मजदूर राजू पिता मांगू कदमपाड़ा रतलाम, बाबूलाल पिता नागूलाल निवासी बनबना, गोपाल पिता मन्ना निवासी पेटलावद (जिला धार) मलबे में दब गए थे। रामप्रकाश व राजू ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। शेष बचे तीन घायलों का उज्जैन में इलाज चल रहा है।
सोमवार दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर जवाहर मार्ग के रहवासियों में उस समय हडक़ंप मच गया, जब विजयसिंह रघुवंशी के मकान की छत गिर गई। बताया जा रहा है कि उक्त मकान को जमींदोज करने का कार्य चल रहा था। शायद मजदूरों को यह नहीं पता था कि मकान बहुत जर्जर स्थिति में जैसे ही मजदूरों ने तीसरी मंजिल के फर्श को उखाडऩे के लिए ड्रील चलाई तो छत भराभरा कर गिर गई। इसमें मकान को तोडऩे के कार्य में जुटे तीन मजदूर सहित ग्राउंडफ्लोर में संचालित मेडिकल स्टोर के संचालक व मकान मालिक व उनके मित्र मलबे में दब गए। अचानक छत गिरने की आवाज सुनकर आसपास के रहवासी उस और दौड़े देखा कि विजयसिंह के मकान की छत गिरी हुई है और मलबे में विजयसिंह सहित मजदूर दबे पड़े हैं। रहवासियों ने आनन-फानन में मलबे के नीचे दबे घायलों को वहां से निकालना शुरु कर दिया और अस्पताल पहुंचाया।
हादसे के 20 मिनट पहले ही पहुंचे थे राय
जर्जर मकान में मकान मालिक व कुछ किराएदार रहते थे। किराएदारों ने सोमवार सुबह की मकान खाली किया था। मकान में किराएदारों व मकान मालिक के स्वयं का कई कीमती सामन पड़ा हुआ था। घटना में मौत का शिकार हुए श्रीराम कॉलोनी निवासी रामप्रकाश राय मकान मालिक रघुवंशी का मित्र था, जो प्रतिदिन उनकी मेडिकल स्टोर पर आकर बैठता था। घटना के लगभग 20 मिनट पहले ही राय अपने घर से आकर बैठा था, लेकिन उसे क्या पता था कि यह उसकी आखरी मुलाकात होगी। राय एक गायक थे, उनकी शहर में मुकेश कुमार के नाम से पहचान थी।
नगर पालिका की लापरवाही आई सामने
नगरपालिका जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से कर लेते तो शायद यह हादसा रोका जा सकता था। कारण उक्त जर्जर मकान से हादसे की आशंका 6 माह पूर्व ही पड़ोसी आवेदन देकर जता दी थी, लेकिन नपा के अधिकारियों ने शिकायत पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। नपा अफसरों ने जर्जर मकान मालिकों को केवल नोटिस देकर अपनी कार्रवाई पूरी कर ली। यहां तक नपा अधिकारियों ने एसडीएम आरपी वर्मा के आदेश को भी धता बता दिया। एसडीएम ने बारिश शुरु होने के पूर्व ही 4 जून को ही नपा सीएमओ सतीश मटसेनिया को पत्र लिखकर ऐसे मकानों को ध्वस्त किए जाने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, जो जर्जर अवस्था में होकर हादसे का कारण बन सकते हैं, लेकिन नपा के अधिकारी कार्रवाई करने की बजाए बड़े हादसे का इंतजार करते रहे। उसका नतीजा सोमवार को देखा गया।
रहवासियों ने जान जोखिम में डाल निकाले मलबे में दबे लोग
मकान की छत गिरने की सूचना मिलते रहवासी अपनी जान जोखिम में डालकर मलबे में दबे लोगोंं को निकाले के प्रयास में जुटे ही थे कि पुलिस जवान भी पहुंच गए। पुलिस थाने के नीरज पटेल, संजय राणावत, जितेंद्र सेंगर ने जान की परवाह न करते हुए मलबे में दबे तीन लोगों को आखिरकार बाहर निकाल लिया।
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