उज्जैन (ujjain) के सिद्धाश्रम और इंदौर से के-11 प्रोडक्शन की ओर से आयोजित इस महाअभियान को लेकर लोगों में उत्साह था। तय समय में 11 बार किए गए इस नाद का एक उद्देश्य कोरोना महामारी से मुक्ति की कामना तो था ही, साथ ही विश्व में सकारात्मकता का संचार करना भी था।
इसकी शुरुआत 2016 में उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ से हुई थी। क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने तथा उज्जैन को यूनेस्को की ओर से पृथ्वी का नाभिकेंद्र घोषित कर विश्व धरोहर की मान्यता देने के संकल्प के साथ यह अभियान आरंभ हुआ था। इस वर्ष इसे महामारी की समाप्ति के लिए किया गया।
सिद्धाश्रम के संस्थापक डा. स्वामी नारदानंद व के-11 प्रोडक्शन एंड इवेंट के विजय कौशिक ने बताया कि महामारी के कारण लाकडाउन का पालन करते हुए लोगों ने घरों में रहकर ही शामिल होने की अपील की गई थी।