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ISRO फिर रचेगा इतिहास, गगनयान-1 सहित 4 बड़े मिशन लाॅन्च करने की तैयारी

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए वर्ष 2025 की पहली छमाही व्यस्तताओं से भरी है। इस दौरान कई मिशन लाॅन्च किए जाएंगे जिसके लिए इसरो तैयार है।

नई दिल्लीJan 11, 2025 / 11:08 am

Shaitan Prajapat

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए वर्ष 2025 की पहली छमाही व्यस्तताओं से भरी है। इस दौरान कई मिशन लाॅन्च किए जाएंगे जिसके लिए इसरो तैयार है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में इन मिशनों के बारे में जानकारी दी गई। बैठक में अंतरिक्ष विभाग के सचिव व इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ, उनके उत्तराधिकारी डॉ.वी.नारायणन, इन-स्पेस के चेयरमैन पवन कुमार गोयनका सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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अगले छह माह की तैयारियों की समीक्षा बैठक

इसरो ने कहा है कि प्रथम छमाही में लाॅन्च किए जाने वाले प्रमुख मिशनों में से एक गगनयान-1 है। यह मानवरहित कक्षीय मिशन है जो मानव अंतरिक्ष उड़ान का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसका उद्देश्य चालक दल वाले क्रू मॉड्यूल को अंतरिक्ष में भेजकर उसे पुन: वापस लाना है। यह मिशन एचएलवीएम-3 (मानव रेटेड एलवीएम3) से लाॅन्च किया जाएगा।

जीएसएलवी के दो मिशन

इसके अलावा जीएसएलवी के दो मिशन लाॅन्च किए जाएंगे। जीएसएलवी एफ-15 से नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 का प्रक्षेपण किया जाएगा जो 100 वां लाॅन्च मिशन भी होगा। यह नेविगेशन प्रणाली नाविक को समृद्ध करेगा। इस उपग्रह में स्वदेशी परमाणु घडिय़ों का प्रयोग किया गया है। यह मिशन इसी महीने लाॅन्च करने की योजना है। अगला मिशन फरवरी में जीएसएलवी एफ-16 है। इससे नासा और इसरो के संयुक्त सिंथेटिक अपर्चर राडार (निसार) उपग्रह लाॅन्च किया जाएगा। यह उपग्रह कृषि, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु निगरानी पर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।
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एलवीएम-3 एम-5 पूर्ण वाणिज्यिक मिशन

मार्च महीने में एलवीएम-3 एम-5 की वाणिज्यिक उड़ान होगी। इस मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष कंपनी एन-सिल ने अमरीकी कंपनी एएसटी स्पेस मोबाइल के साथ करार किया है। करार के तहत इसरो ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 के उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा।

अब अंतरिक्ष मलबा पकड़ने और उपग्रहों में ईंधन भरने में सक्षम बनेगा भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में तैरते मलबों को कैप्चर करने की दिशा में अहम प्रयोग किया है। प्रयोग पीएसएलवी सी-60 के चौथे चरण पीओईएम-4 के साथ भेजे गए पे-लोड डेबरिस कैप्चर रोबोटिक मैनिप्युलेटर (डीसी-आरएम) के जरिए किया गया। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में विकसित यह उपकरण रोबोटिक आर्म की तरह है। यह अंतरिक्ष में तैरते मलबों को उसकी गति का अनुमान लगाकर पकड़ सकता है। इसरो ने कहा कि उपकरण अंतरिक्ष में ऑपरेशनल उपग्रहों का जीवनकाल बढ़ाने के लिए उनमें ईंधन की आपूर्ति कर सकता है। यह हवा में उड़ान भरते युद्धक विमानों में ईंधन की आपूर्ति करने जैसा होगा।

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