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एक दिन पहले से ही लगने लगती है भक्तों की लाइन
हर साल नागपंचमी के दिन भगवान नागेश्वर के दर्शन के लिए एक दिन पूर्व शाम से ही भक्तों की कतार लगना शुरु हो जाती है। भगवान नागचंद्रेश्वर के इस तरह के दुर्लभ दर्शन पाने की चाह में बूढ़े, बच्चे, महिला-पुरुष सभी कई घंटों का इंतजार करने को भी तैयाररहते हैं। न तो किसी को घंटों खड़े रहने से थकान महसूस होती है और न ही लाइन में लगे किसी श्रद्धालु को भूख-प्यास का अहसास सताता है। लेकिन, कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मंदिर प्रांगण वीरान रहा। हालांकि, मंदिर प्रबंधन और प्रशासन ने लाइव प्रसारण की व्यवस्था कर रखी थी, ताकि लोग ऑनलाइन भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन पा सकें।
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इस बार मंदिर में था श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित
हालांकि, नागचंद्रेश्वर मंदिर इस समय जगमग रोशनी में नहाया हुआ है। रात 12 बजे नागचंद्रेश्वर मंदिर के महंत विनीत गिरीजी महाराज ने मंदिर के पट खोले। करीब एक घंटे के त्रिकाल पूजन के बाद मंदिर में नागचंद्रेश्वर मंदिर की आरती की गई। भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में ये पर्व प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं द्वारा आनंद-उमंग और पूर्ण आस्था के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते किसी भी श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश और दर्शन की अनुमति नही दी गई थी। इसी के चलते मंदिर में श्रद्धालुओं की चहल-पहल नहीं रही।
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लाइव टेलिकास्ट की व्यवस्था
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार मंदिर समिति ने महाकाल ऐप और वेबसाइट पर भगवान नागचंद्रेशवर के लाइव दर्शन की व्यवस्था की थी। 11वीं शताब्दी के परमार कालीन इस मंदिर के शिखर के मध्य बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर में शेष नाग पर विराजित भगवान शिव और पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है। साल में केवल एक बार ही खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन करने हर साल लाखों श्रद्वालु आते थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार श्रद्धालुओं को नागचंद्रेश्वर के दर्शन का अवसर नहीं मिला। मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के इस दुर्लभ दर्शन से कालसर्प दोष का निवारण होता है। वहीं, ग्रह शांति, सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए भी नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।