15 से शुरू होगा काम
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने गत वर्ष भिक्षुक मुक्त शहर के लिए प्रपोजल मंगाए थे। नगर निगम ने प्रपोजल भेजा था। अब मंत्रालय ने स्माइल प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर के साथ उज्जैन को इसमें शामिल किया गया है। विशेषकर उज्जैन के धार्मिक नगरी को ध्यान रखते हुए प्राथमिकता दी गई है।
स्माइल प्रोजेक्ट 5 साल के लिए रहेगा और इसी मान से राशि भी आवंटित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट को निगम व एनजीओ के माध्यम से संचालित किया जाएगा। स्माइल प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी नयन लश्करी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ कागजी कार्रवाई बाकी है, जिसे दो-तीन दिन में पूरा कर देंगे। इसी सप्ताह में मंत्रालय की बैठक में प्रोजेक्ट के लिए राशि आवंटित सहित कार्ययोजना की स्थिति साफ हो जाएगी। संभवत: 15 अगस्त तक भिक्षुक मुक्त शहर की कार्ययोजना पर काम शुरू हो सकता है। उल्लेखनीय है कि उज्जैन से पहले इंदौर को भी भिक्षुक मुक्त शहर बनाने की दिशा में काम किया जा चुका है।
ऐसे बनाया जाएगा भिक्षुक मुक्त शहर
-शहर में भिक्षुकों का सर्वे कर इसमें पुरुष, महिला, बच्चों की जानकारी निकाली जाएगी।
-भिक्षावृत्ति के कारणों का पता लगाया जाएगा।
-भिक्षावृत्ति करने वालों के लिए आवास व भोजन की उपलब्धता करवाई जाएगी।
-पुरुष व महिला को रोजगार से जोड़ने स्किल डेवलपमेंट कर रोजगार से जोड़ा जाएगा।
-बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए भेजा जाएगा।
दो हजार से ज्यादा भिक्षुक
नगर निगम द्वारा स्माइल प्रोजेक्ट के लिए भेजे गए प्रपोजल में शहर में करीब 2 हजार भिक्षुक होने की जानकारी दी गई है। यह भिक्षुक, महाकाल मंदिर, रेलवे स्टेशन, चामुंडा चौराहे सहित प्रमुख मंदिरों के बाहर तथा ट्रैफिक सिग्नल पर रहते हैं। यह भी बताया गया कि श्रावण मास या अन्य त्योहार विशेष पर भिक्षुकों की संख्या ढाई से 3 हजार तक पहुंच जाती है। मुकेश टटवाल, महापौर का कहना है कि उज्जैन का भिक्षुक मुक्त शहर के लिए चयन हुआ है। इसे जल्द क्रियान्वित करने के लिए कहा गया है। इससे धार्मिक नगरी में भिक्षुक खत्म होंगे और उन्हें रोजगार मुहैया होगा।