उज्जैन. श्रावण भादौ मास की तर्ज पर कार्तिक-अगहन मास में भी राजा महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है। इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए सोमवार 31 अक्टूबर को पहली सवारी चंद घंटों बाद यानी शाम 4 बजे निकलना शुरू होगी। प्रजा भी अपने आराध्य देव के दर्शनों के लिए रास्ते में पूजा की थाली लिए खड़ी रहेगी।
महाकाल देंगे प्रजा को छह बार दर्शन
कार्तिक-अगहन मास में भगवान महाकालेश्वर प्रजा को छह बार दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। पहली सवारी दिवाली के दूसरे दिन 31 अक्टूबर को शाम 4 बजे से निकलेगी। मंदिर के सभा मंडप में पुजारी-पुरोहित फूलों से पालकी को सजाएंगे। उसके बाद विधि-विधान से पूजन-अर्चन पश्चात राजाधिराज की प्रतिमा पालकी में विराजमान कर जयकारों के साथ नगर भ्रमण पर रवाना की जाएगी।
वैकुंठ चौदस की रात 11 बजे निकलेगी पालकी
श्रावण-भादौ मास की तर्ज पर वैसे तो हर सवारी शाम 4 बजे निकलना शुरू होगी। लेकिन इसके अलावा एक सवारी वैकुंठ चौदस पर रात 11 बजे निकलेगी, जिसे हरि-हर मिलन कहा जाता है। इस दिन शिव पृथ्वी का भार गोपालजी को सौंपते हैं। इस दौरान जमकर आतिशबाजी की जाती है। लगभग दो-ढाई घंटे पालकी गोपाल मंदिर रुकती है, इसके बाद वापस महाकाल मंदिर आती है।
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