कालिदास की कृतियों में प्रकृति-मानव के संबंध को दर्शाया गया है, जो पर्यावरणीय संतुलन के लिए प्रेरणास्रोत है। पर्यावरण का ध्यान रखें, क्योंकि रहने के लिए हमारे पास दूसरी धरती नहीं है। आयोजन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, सीएम डॉ. मोहन यादव, श्रीराम जन्म भूमि क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि महाराज विशिष्ट अतिथि थे। समारोह का समापन 18 नवंबर को होगा।
उपराष्ट्रपति ने दीं चार सीख
1.अपनों को नहीं करें नजरअंदाज हमें पता होना चाहिए कि हमारे पड़ोस में, समाज में कौन है? उनके क्या सुख-दुख हैं? हम कैसे उन्हें राहत दे सकते हैं? 2. नागरिक कर्तव्य बेहद जरूरी अपने मन को टटोलिए। हम महान भारत के नागरिक हैं। इसका श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। 3. मत करो प्रकृति से खिलवाड़ कालिदास की कृति मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा दिखाता है। यह भी सिखाता है प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो। 4. सांस्कृतिक धरोहर संभालें जो देश-समाज सांस्कृतिक धरोहर को संभाल के नहीं रखता, वो ज़्यादा दिन नहीं टिक सकता। हमें संस्कृति पर पूरा ध्यान देना होगा।
कला-संस्कृति को जीवंत बनाए रखे हैं पुरोधा
सीएम ने कहा, 24 वर्ष बाद उपराष्ट्रपति के हाथों समारोह का शुभारंभ होना अपने आप में बड़ी बात है। पहले उद्घाटन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के हाथों होता रहा है। यहां सम्मानित हुए महानुभावों को देख लगता है कि हमारी कला और संस्कृति को जीवंत रखने वाले पुरोधा अब भी हैं, जो कला-जगत की ध्वजा को देश-विदेश तक फहरा रहे हैं।