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अयोध्या की दिवाली से भी अद्भुत होने जा रही है महाकाल की महाशिवरात्रि, 21 लाख दीयों से रोशन होगी धर्म नगरी

आज शाम धर्म नगरी उज्जैन में पावन पर्व महाशिवरात्रि की एक अलग ही छटा देखने को मिलेगी।

उज्जैनMar 01, 2022 / 01:06 pm

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अयोध्या की दिवाली से भी अद्भुत होने जा रही है महाकाल की महाशिवरात्रि, 21 लाख दीयों से रोशन होगी धर्म नगरी

उज्जैन. मंगलवार यानी आज देशभर में महाशिवरात्रि के पावन पर्व का शुरुआत हो गई है। वहीं, मध्य प्रदेश की धर्म नगरी उज्जैन में इस पावन पर्व की एक अलग ही छटा देखने को मिल रही है। धर्म नगरी उज्जैन में इस महोत्सव को और भी अद्भुत मनाने के लिए ‘शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव’ मनाया जा रहा है। आपको बता दें कि, आज शाम यहां मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि का समारोह अब तक का सबसे भव्य समारोह होने वाला है। महाशिवरात्रि के मौके पर क्षिप्रा नदी के सभी घाटों के साथ साथ शहरभर को 21 लाख दीयों से प्रज्ज्वलित किये जाएंगे। खास बात ये है कि, इनमें से क्षिप्रा नदी के तट पर जलाए जाने वाले 12 लाख दीप मात्र 10 मिनट में जलाए जाएंगे। ऐसा करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का लक्ष्य है। अबतक ये रिकॉर्ड अयोध्या के नाम दर्ज है।


महाशिवरात्रि के समारोहों और व्यवस्थाओं की बागडोर अपने हाथों में लिए उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि, 1 मार्च को महाकाल की नगरी इतिहास रचने जा रही है। इस दिन शहरवासी पूरे शहर में 21 लाख दीप जलाकर महाशिवरात्रि महोत्सव मनाएंगे। दीपोत्सव देखने के लिए आम लोगों को 8 बजे घाटों पर प्रवेश मिलेगा। दीप प्रज्ज्वलित करने और इसकी तैयारियों को लेकर 1 मार्च की रात्रि 8 बजे तक घाटों पर पहुंचने वाले मार्ग बंद कर दिए जाएंगे। आपको बता दें कि, इस विशेष दीपोत्सव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दीये जलाने में भागीदारी निभाएंगे।

 

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सिर्फ 10 मिनट में जलाने होंगे सभी दीपक

तय व्यवस्थाओं के तहत कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार की शाम 7 बजे से होगी। दीप जलाने के लिए रामघाट पर एक विशेष सायरन लगाया गया है। ये सायरन ठीक 10 मिनट के लिए बजेगा। इसी अवधि में वॉलंटियर्स को रिकॉर्ड स्थापित करने वाले सभी दियों को प्रज्वलित करना होगा। सायरन की आवाज बंद होते ही दीपों से पीछे हटना होगा। दूसरे सायरन की आवाज पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम इस रिकॉर्ड को अपने कैमरे में कैद करेगी। 7.30 बजे सभी वॉलंटियर्स फ्री हो जाएंगे। घाटों पर एक साथ 6000 ब्लॉक के 120 सेक्टर में करीब 14 लाख दीपों को रखा जाएगा।


क्षिप्रा तट के अलावा शहर के इन स्थानों पर भी जलेगें दीप

तय व्यवस्थाओं के तहत क्षिप्रा के तट सिर्फ 14 लाख दीपक ही जलाए जाएंगे। इसके अलावा शहर के महाकाल मंदिर में 51 हजार दीपक जलेंगे, मंगल नाथ मंदिर में 11 हजार दीपक जलेंगे, कालभैरव मंदिर एवं घाट पर 10 हजार दीप प्रज्वलित होंगे, गड़कालिका मंदिर में 11 सौ, सिद्धवट मंदिर एवं घाट पर 6 हजार, हरसिद्धि मंदिर में 5 हजार, टावर चौक पर 1 लाख दीप जलेंगे। साथ ही शहर के अन्य सार्वजनिक स्थलों पर 2 लाख दीप जलाने की तैयारी की गई है।

इसमें एक खास बात ये भी है कि, इतनी बड़ी मात्रा में जलाए जाने वाले दीपों को इस्तेमाल के बाद कहीं फैंका या रखा नहीं जाएगा। दीपोत्सव के बाद इन सभी दीयों को रिसाइकिल करके इस मिट्टी से दौबारा भगवान की प्रतिमा बनाकर शहर में स्थायी रूप से स्थापित की जाएगी। वहीं, इस्तेमाल के बाद बचने वाले तेल को भी गौशाला आदि में खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल में लिया जाएगा। स्वयंसेवकों के पहचान-पत्र को रिसाइकिल कर कागज बनाया जाएगा। 3-R (REDUCE (कम उपयोग), RECYCLE (पुन: चक्रण), REUSE (पुन: उपयोग)) के तहत उद्यान में कुर्सियों, बेंच, बर्तन आदि बनाने के लिए लगभग 14000 खाली तेल की बोतलों का दोबारा इस्तेमाल में लाया जाएगा।


ये संगठन महाशिवरात्रि पर जलाएंगे दीप

महाशिवरात्रि पर दीपोत्वस के समय गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए 13 हजार स्वयं सेवकों को सिर्फ क्षिप्रा घाट पर तैनात किया जाएगा। हालांकि, इसके लिए अबतक 17 हजार 593 स्वयंसेवर पंजीकरण करा चुके हैं। इसमें कॉलेजों से 2913, निजी स्कूलों से 1210, सरकारी स्कूलों से 3090, राष्ट्रीय सेवा योजना से 1023, खेल और युवा कल्याण से 552, तीर्थ पुरोहितों, पंडितों और अखाड़ों से 513, क्षत्रिय मराठा समुदाय से 56, कायस्थ समुदाय से 285 शामिल हैं। राठौर समुदाय से 95, गुजराती समुदाय से 120, सिंधी समुदाय से 100, अग्रवाल समुदाय से 173, सामाजिक संगठनों, समूहों, एनजीओ,सामाजिक कल्याण समूहों से 1027, कोचिंग संस्थानों से 1300, व्यावसायिक संगठनों से 111, राजनीतिक से 900 और पंचायत से 4000 एवं ग्रामीण क्षेत्रों के स्वयंसेवकों ने पंजीयन कराया है।

 

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