नदी के गहरीकरण व चौड़ीकरण के बाद अब पानी आने से क्षेत्र का सौंदर्य निखर आया है। आने वाले समय में नदी से न केवल सिंचाई हो सकेगी, बल्की क्षिप्रा नदी में भी पानी पहुंचेगा। चंद्रभागा नदी क्षिप्रा की सहायक नदी होकर करीब 50 वर्ष पहले प्रवाहमान थी।
यह नदी मोहनपुरा क्षेत्र की कटिली पहाड़ियों से निकलती थी और मुल्लापुरा होते हुए 12-15 किमी का रास्ता तय कर क्षिप्रा नदी में सोमवती कुंड में मिलती थी। बीते सालों में नदी के उद्गम स्थल व रास्तों पर अतिक्रमण होने से यह सूख गई थी। धीरे-धीरे अस्तित्व खत्म हो गया। अब स्थानीय लोगों को छोड़कर लोग इसका नाम तक भूल गए थे।
चंद्रभागा नदी में बारिश का पानी संग्रहित रहे, इसके लिए चार-पांच स्थानों पर स्टॉप डैम भी बनाए हैं। इससे नदी में खासा पानी एकत्र हो गया है। अब नदी किनारे घन पौधरोपण किया जाएगा। इसके लिए जगह भी चिह्नित की गई है।
गांववालों ने जमीन दी, अतिक्रमण हटाया
चंद्रभागा नदी के पुनर्जीवन करने को लेकर रास्ते में आने वाले मुल्लापुरा सहित अन्य गावों के रहवासियों ने बढ़-चढ़कर योगदान दिया। ग्रामीणों ने केवल नदी सफाई व गहरीकरण में श्रमदान ही नहीं किया, बल्कि नदी के रास्ते मेें आने वाली कुछ जमीन भी दी। यहां तक कि कुछ जगह अतिक्रमण हो गया था, उसे भी हटाया गया।
सैकड़ों ग्रामीणों की मेहनत का नतीजा
अ प्रेल 22 में शिप्रा संरक्षण संस्था के साथ पत्रिका अमृतम जलम् अभियान में नदी को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया गया था। तीन-चार गांवों के लोग अभियान से जुड़े। नदी को कुछ जगह 10-15 फीट तक गहराकर 30 फीट तक चौड़ा किया। तब पानी भी निकल आया था। बारिश के बाद नदी पुराने स्वरूप में लौट रही है। नदी के करीब 10 किमी क्षेत्र में पानी भरा है।
4-5 किमी क्षेत्र में काम बाकी
शिप्रा संरक्षण संस्था के पुष्पेंद्र शर्मा का कहना है, नदी में 4-5 किमी का काम शेष है। फिलहाल नदी के उद्गम स्थल से छोटे-छोटे नालों से पानी जमा हो रहा है। आने वाले समय में इसका पानी क्षिप्रा में मिल जाएगी।
नदी के संरक्षण अभियान के बाद करीब 10 किमी लंबे रास्ते में पानी जमा हाे गया। नदी में स्टाॅप डैम के साथ यहां पाैधाराेपण भी किया जाएगा।
– साेनू गेहलाेत,सदस्य क्षिप्रा संरक्षण समिति