भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर-2 से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला के लिए यह नियम तोड़ा गया। दोनों नेताओं ने नर्मदा परिक्रमा वाले संत दादा गुरु के साथ महाकाल के गर्भगृह में जलाभिषेक-पूजन किया। तीनों काफी देर तक मंदिर के गर्भगृह में बैठे रहे। महाकाल मंदिर के नियम वीवीआइपी के सामने हमेशा ही शिथिल हो जाते हैं। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद इस प्रतिबंध के नियमों का पालन करते देखे गए।
मुख्यमंत्री से भी की शिकायत
इधर, संत अवधेशपुरी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख वीवीआइपी कल्चर, दर्शन शुल्क और सशुल्क व्यवस्थाएं बंद करने की मांग की है। बाबा को छुने की ललक हर भक्त में- गत दिनों एक वृद्ध महिला ने बाबा को जल अर्पण करने और उन्हें छुने की जिद पकड़ी और नंदी हॉल के पीछे बने बैरिकेड्स तक लांघ गई थी। वृद्धा को रोकने पुलिस, सिक्युरिटी गार्ड और मंदिर के कर्मचारियों की सारी कोशिशें नाकाम रहीं। आखिर वहां मौजूद सहायक प्रशासनिक अधिकारी की सहमति के बाद उन्हें गर्भगृह तक लाया गया था।
रुद्राक्ष मामले में क्या जांच हुई, पता नहीं
होली पर्व पर इंदौर के भाजपा नेता गोलू शुक्ला के पुत्र रुद्राक्ष ने गर्भगृह में पहुंचकर नियमों का उल्लंघन किया था। भस्म आरती के दौरान रुद्राक्ष भी पुजारी-पुरोहितों की तरह शामिल हुआ था, मंदिर प्रशासन ने जांच करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि आखिर जांच में दोषी कौन पाया गया और किस पर कार्रवाई हुई है।
उज्जैन के स्वस्तिक पीठाधीश्वर डॉ. अवधेश पुरी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ आम श्रद्धालुओं के लिए होते हैं, वीआइपी और वीवीआइपी इस प्रकार के आदेशों के दायरे में नहीं आते हैं। कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा की कथा के चलते गर्भगृह से दर्शन-पूजन आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया। लेकिन मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं महाकाल मंदिर प्रशासक के पास विशेष अधिकार हैं, जिसके तहत वीआइपी और वीवीआइपी गर्भगृह में दर्शन करा सकते हैं। इसके तहत मंदिर गर्भगृह में विजयवर्गीय और मेंदोला ने पूजा अर्चना की, इससे स्पष्ट है कि मंदिर समिति द्वारा जारी किया गया फरमान सिर्फ आम जनता के लिए है, क्योंकि वीआइपी और वीवीआइपी का गर्भगृह में जाना, दर्शन-पूजा-अर्चना करना जारी है।
नेताओं को देख दर्शनार्थियों ने उठाए सवाल
गर्भगृह में करीब पौने 12 बजे विजयवर्गीय और मेंदोला को बैरिकेड्स में खड़े दर्शनार्थियों ने देखा, तो कहने लगे कि हमें क्यों प्रवेश नहीं दिया है। हम भी दूर से दर्शन करने आए हैं। ये कैसा नियम कि जनता दूर से देखे और वीवीआइपी गर्भगृह में प्रवेश कर जाएं? एक जैसे नियम बनाने की बात की जाती है, लेकिन नियम पालन में मंदिर प्रशासन का दोहरा रवैया रहता है। रतलाम से आए आशीष कुमार का कहना है, पिछली बार भी हमने दूर से बाबा के दर्शन किए थे, अब सोचा था कि अंदर जाना होगा, लेकिन आज भी गर्भगृह में प्रवेश बंद की सूचना मिली, लेकिन कुछ लोग अंदर पूजन करते दिखे, तो दु:ख हुआ।
1500 के शुल्क पर सुबह 6 से 10 बजे तक अनुमति महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह से दर्शन और जल अर्पण के लिए 1500 रुपए की रसीद पर दो लोगों को अनुमति दी जाती है। यह व्यवस्था वर्तमान में सिर्फ सुबह 6 से 10 बजे के लिए है। पं. प्रदीप मिश्रा ने गर्भगृह से सुबह 10 बजे से पहले ही दर्शन किए जबकि विजयवर्गीय, मेंदोला और नर्मदा परिक्रमा वाले दादा गुरु को दोपहर पौने 12 बजे गर्भगृह में प्रवेश दिया गया। करीब 15 मिनट तक पहले गर्भगृह और फिर नंदीहॉल में बैठकर पूजन-अर्चन करते रहे। सोमवार को 250 रुपए वाली शीघ्र दर्शन व्यवस्था भी जारी रही, जिसमें नंदी हॉल से दर्शन कराए जाते हैं।
टेलीफोनिक अनुमति दी
नर्मदा के जल पर 30 वर्ष से जीवन यापन करने वाले संतश्री के साथ कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला दर्शन करने मंदिर आए थे, जिन्हें टेलीफोनिक अनुमति दी गई थी। इसके बाद उन्हें गर्भगृह में प्रवेश दिया गया। प्रतिबंध का आदेश जारी हुआ है, उसमें वीआइपी और अति विशिष्ट मेहमानों के आने पर जिला सत्कार अधिकारी, एडीएम और प्रशासक दोनों मिलकर यह निर्णय लेते हैं। साथ ही कलेक्टर की बिना अनुमति के किसी को प्रवेश नहीं दिया जाता।
– संदीप सोनी, प्रशासक महाकाल मंदिर।
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