नागदा. बारिश की खेंच के चलते ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन ने शनिवार से सिलसिलेवार मशीनों को बंद करने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को इस संबंध में उद्योग प्रबंधक की बैठक हुई, जिसमें चंबल नदी व अन्य जलस्त्रोतों में मौजूद पानी की उपलब्धता पर समीक्षा हुई। बैठक में तय किया गया कि नागदा खाचरौद व रेलवे को पेयजल सुरक्षित रखने के लिए उद्योग की मशीनों को थामना अनिवार्य हो गया है, लिहाजा प्रबंधन शनिवार से एक-एक कर मशीनों पर ब्रेक लगाना प्रांरभ कर देगा।
हालांकि इस बीच क्षेत्र में अच्छी बारिश हो गई और चंबल के जलस्तर में बढोतरी हुई तो उद्योग को पुन: शुरू कर दिया जाएगा। अथवा एक सप्ताह के भीतर उद्योग की पूरी उत्पादन प्रक्रिया को ठप कर दिया जाएगा।
अभी ले-ऑफ नहीं: उद्योग प्रबंधक ने तय किया है, कि फिलहाल उद्योग के स्थायी श्रमिकों को ले-ऑफ नहीं दिया जाएगा। बंद होने की स्थिति में प्रबंधक मजदूरों से मेनटेेंनेस का कार्य करवाएगी। ताकी उन्हें बेरोजगारी का संकट नहीं झेलना पड़े। गौरतलब है, कि ले-ऑफ के चलते ठेकेदार मजदूरों का काम बंद कर दिया जाता है। वहीं स्थायी श्रमिकों को 50 फीसदी वेतन दिया जाता है।
चंबल में मात्र 24 एमसीएफटी पानी शेष
मानसून की बेरूखी के चलते चंबल नदी सूखने की कगार पर है, ग्रेसिम उद्योग द्वारा निर्मित चंबल के तीन बांधों में से दो पूरी तरह से सूख चुके है। वहीं बांध क्रंमाक 1 में नाम मात्र का पानी शेष बचा है। पीएचई द्वारा किए गए आकलन के मुताबिक टकरावदा तालाब व चंबल के डेड स्टोरेज को छोड़ दे तो मात्र 24 एमसीएफटी पानी शेष बचा है। जिसमें टकरावदा तालाब का पानी पीने योग्य नहीं है।
पानी की कमी के चलते ग्रेसिम उद्योग को शनिवार से बंद करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ताकि नागदा-खाचरौद व रेलवे के लिए पीने का पानी सुरक्षित हो सके। यदि क्षेत्र में अच्छी बारिश हो गई और चंबल के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई तो उद्योग को पुन: शुरू कर दिया जाएगा अथवा एक सप्ताह के भीतर उद्योग की पूरी उत्पादन प्रक्रिया को ठप कर दिया जाएगा।
राजेश शर्मा, जनसंपर्क अधिकारी, ग्रेसिम उद्योग
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