प्रशासन की ओर से अनुमति मिलते ही शनिवार सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही लोगों को प्रवेश दे दिया गया। गेट नंबर 4 से आम श्रद्धालु और गेट नंबर 5 से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं ने प्रवेश लिया। सभी के अनुमति पत्र को चेक करने के लिए मंदिर समिति ने प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्था कर रखी थी। हालांकि, 1 हजार भक्तों के प्रवेश और बैठने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पर्याप्त रूप से नहीं हो सका। भीड़ को इक्क्ठा करके छोड़ा गया, जिससे एक कतार में भक्त गणेश मंडपम और कार्तिकेय मंडपम तक पंहुचे।
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भस्मार्ती में शामिल हुए 696 श्रद्धालु
महाकाल के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार, भस्म आरती के पहले दिन भक्तों का उत्साह देखते बन रहा था। 50 प्रतिशत क्षमता के साथ श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया। शनिवार को हुई भस्म आरती में 696 लोगों को प्रवेश की अनुमति दी गई। किसी भी श्रद्धालु को गर्भ गृह में जाकर जल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई। सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर में प्रवेश करते ही परिसर जयकारों से गूंज उठा।
इस तरह हुई भस्म आरती
बता दें कि, महाकाल की नगरी उज्जैन में भस्म आरती के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगना सुबह से ही शुरू हो गया था। बाबा महाकाल को सभी पंडे-पुजारियों ने नियम अनुसार जल चढ़ाया। उसके बाद दूध, घी, शहद, शकर और दही से पंचामृत अभिषेक किया गया। अभिषेक के बाद बाबा का श्रृंगार कर भगवान महाकाल को भस्म रमाई गई। करीब 1 घंटा चली भस्म आरती के बाद बाबा का चंदन, फल और वस्त्र का विशेष श्रृंगार किया गया।
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