scriptचप्पे-चप्पे पर ढूंढ चुकी थी बेटी, अखबारों में भी दिये इश्तिहार, घर से 1200 कि.मी दूर महाकाल नगरी में मिली मां | daughter kept missing other in bihar she found in mahakal city | Patrika News
उज्जैन

चप्पे-चप्पे पर ढूंढ चुकी थी बेटी, अखबारों में भी दिये इश्तिहार, घर से 1200 कि.मी दूर महाकाल नगरी में मिली मां

चप्पे-चप्पे पर ढूंढा, महाकाल के दर पर मिली मां।

उज्जैनMay 24, 2021 / 11:17 am

Faiz

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चप्पे-चप्पे पर ढूंढ चुकी थी बेटी, अखबारों में भी दिये इश्तिहार, घर से 1200 कि.मी दूर महाकाल नगरी में मिली मां

उज्जैन/ महाकाल की नगरी उज्जैन रविवार को मां-बेटी के मिलन की गवाह बनी। दरअसल, युवती की 65 वर्षीय मां पिछले दिनों बिहार राज्य में स्थित अपने घर से भटक कर 1200 किलोमीटर दूर महाकाल की नगरी उज्जैन आ गई थी। वहीं दूसरी मानसिक तौर पर कमजोर मां के गुम हो जाने पर बेटी ने अपनी मां को प्रदेश के चप्पे चप्पे पर तलाश लिया। यही नहीं मां की गुमशुदगी के इश्तिहार वो लगातार सूबे के हर अखबार को देती रही। आखिरकार उज्जैन के एक सेवधाम को बिहार के ही एक अखबार में छपे बुजुर्ग महिला की गुमशुदगी के इश्तिहार की जानकारी लगी, तो उन्होंने तुरंत ही बेटी को संपर्क किया और मां के वहां होने की बात कही।

 

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‘महाकाल ने मां से मिलाया’

जानकारी लगते ही अपने शहर से करीब 1200 किलो मीटर दूर बेटी अपनी मां को लेने पहुंच गई। बेटी के मुताबिक, ‘पिता की मौत के बाद से ही उसकी मां मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिये उनकी फिक्र ज्यादा रहती है। लेकिन, इस बार अचानक उनके घर से गायब हो जाने पर काफी चिंता बढ़ गई थी। लेकिन, महाकाल की नगरी में आज एक बार फिर मैं अपनी मां से मिल सकी हूं, ये मेरा सौभाग्य है।’


पति की मौत के गम में बिगड़ा मानसिक संतुलन

‘अंकित ग्राम’ नामक सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल ‘भाईजी’ द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक, कोरोना काल ने कितने ही परिवारों को लील लिया। एक झटके में ही कई हंसते खेलते परिवार उजड़ गए। कुछ लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ होकर सड़कों पर इधर उधर भटक रहे हैं। ऐसा ही वाकया है गया की रहने वाली 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला माधवी के साथ भी हुआ। मेडिकल कंपनी में मैनेजर रहे उनके पति की 11 नवंबर 2020 को मौत हो गई थी। पति की मौत का गम माधवी के दिमाग पर इतना हावी हुआ, कि उनका मानसिक संतुलन ही बिगड़ गया।

 

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गया में पाखंडियों के चक्कर में आकर वो अपने रुपए लुटाती रहीं, लेकिन पिछले दिनों वो ट्रेन में बैठकर उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर आ गईं। यहां लाॅकडाउन के चलते सबकुछ बंद होने पर वो आश्रय के लिये इधर-उधर भटक रही थीं। इस दौरान एक बच्चे ने उन्हें थाना महाकाल जाने की सलाह दी। बताया कि, वहां आपकी मदद हो जाएगी। थाना प्रभारी थाना महाकाल ने सम्पूर्ण स्थिति जानकर सेवाधाम आश्रम में 20 मई को भेज दिया। महाकाल थाना ने महिला के पास मिली एक डायरी से फोन नंबर के आधार पर कुछ लोगों को फोन लगाए। इनमें से एक फोन वृद्ध महिला की बेटी का भी था, जिससे संपर्क साधकर मां को लेने के लिये उज्जैन बुलाया गया।


अखबारों में मिसिंग एड दिये

मां के मिलने की खबर लगते ही बेटी अपने पति और परिवार के साथ सेवाधाम पहुंची। यहां अपनी मां के प्रमाण पेश करने के दौरान उसने बताया कि, हमने बिहार के अनेकों अखबारों में मिसिंग ऐड दिए हैं। सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि परिवार और रिश्तेदार इन्हें ढूंढ रहे थे। सभी मिलने जुलने वालों के साथ साथ बिहार की एक एक गली में मां को ढूंढ चुके थे।लेकिन, मां कहीं नही मिली। दो दिन पहले जानकारी मिली कि वो उज्जैन में है, तो हम उज्जैन आए।


खुशी के आंसू बह गए

आश्रम परिसर में जैसे ही मां-बेटी एकदूसरे से मिलीं तो दोनों का रूदन एवं मिलाप शुरु हो गया। दोनो को जो भी देखता, वो आश्चर्य में पड़ गया। बता दें कि, महिला जब आश्रम पहुंची थी तो उसके पास 76 हजार से अधिक रकम थी जिसे आश्रम प्रबंधन ने उनकी मानसिक दशा को देखते हुए ले लिये थे। लेकिन, बेटी के पहुंचते ही प्रबंधन की ओर से वो रकम बेटी को सौंप दी गई। पूरे मामले में महाकाल थाना पुलिस का काम सराहनीय रहा, पुलिस ने ही फोन नंबर के आधार पर परिजन को ढूंढने के प्रयास किये थे।

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