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कोरोना बना काल, उजड़ गया परिवार
शहर के महामृत्युंजय द्वार के पास वृन्दावन धाम कॉलोनी में रहने वाले एक परिवार पर कोरोना का हर ऐसे बरपा कि कुछ ही दिनों में हंसता खेलता परिवार तबाह हो गया। यहां रहने वाली संध्या जोशी के पति का निधन कुछ साल पहले हो गया था। दो बेटियों की शादी करने के बाद संध्या जवान बेटे के साथ घर पर रहती थीं। बीते दिनों उन्हें कोरोना ने अपनी जद में ले लिया। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। मां की तबीयत खराब होने की सूचना मिलते ही ससुराल इंदौर से दोनों बेटियां श्वेता और नम्रता मां की देखभाल करने के लिए उज्जैन आ गईं। लेकिन ईश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था, इलाज के दौरान 19 अप्रैल को मां संध्या की मौत हो गई और दूसरे ही दिन 20 अप्रैल को बड़ी बेटी श्वेता भी चल बसी। इसके ठीक तीन दिन बाद छोटी बेटी नम्रता जो कि कोरोना संक्रमित हो गई थी उसकी भी मौत हो गई।
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पति इंदौर ले गया लेकिन नहीं बची जान
मां संध्या और बड़ी बेटी श्वेता की मौत के बाद परिवार में छोटी बेटी नम्रता व 22 साल का भाई ही बचा था। दोनों ने अपनी कोरोना जांच कराई लेकिन कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई। लेकिन नम्रता को सर्दी खांसी थी और दो दिन में परिवार में हुई दो मौतों के डर के चलते नम्रता के पति उन्हें उज्जैन से इंदौर लेकर पहुंचे जहां नम्रता को बुखार आने लगा। तबीयत बिगड़ते देख नम्रता को भी 22 अप्रैल को इंदौर के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 23 अप्रैल को ही नम्रता की भी मौत हो गई। इस तरह से महज पांच दिनों के अंदर ही एक हंसता खेलता परिवार कोरोना के कहर में पूरी तरह से उजड़ गया और अब परिवार में सिर्फ 22 साल का जवान बेटा बचा है। जो अपनी दोनों बहनों और मां के निधन के गम में डूबा हुआ है।
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