पहले इंदौर और आसपास के शहरों से लोग उज्जैन चिंतामण गणेश मंदिर आकर बप्पा का आशीर्वाद लेते थे। उनके नाम का सातिया और कुमकुम, मौली, रोली चढ़ाकर, नारियल पहियों के नीचे रखकर ही घर ले जाया जाता था, लेकिन अब चूंकि शहर में ही वाहन मेला लगा है, तो बाहर से आने वाले लोगों द्वारा गाड़ी क्रय करते ही सबसे पहले वे चिंतामण गणेश मंदिर का ही रुख करते हैं। यही कारण है कि यहां वाहनों की आवाजाही पहले से काफी बढ़ गई है।
मंदिर प्रशासक अभिषेक शर्मा का कहना है कि इन दिनों उज्जैन के वाहन मेले के कारण प्रतिदिन 50 से 60 गाड़ियां मंदिर आ रही हैं। इस वजह से यहां के पुजारी-पुरोहित और आसपास के दुकानदारों की आय में वृद्धि हो गई है, क्योंकि पूजन कराने वाले व्यक्ति को दक्षिणा स्वरूप कम से कम 100 और अधिक से अधिक 500 रुपए कोई भी देकर जाता ही है।
देखा जाए तो इन दिनों जिस प्रकार से वाहन मेले में गाडिय़ां बिक रही हैं, उससे न सिर्फ उज्जैन के व्यापारियों को फायदा हो रहा है, बल्कि आरटीओ टैक्स की 50 प्रतिशत छूट मिलने से खरीदारों की भी काफी बचत हो रही है, इसलिए वे यहां आकर वाहन खरीदने में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं।
पं. शिवम गुरु का कहना है कि पुजारी-पुरोहितों की आय में लगभग 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी वाहन मेले के कारण हुई है। पहले एक-दो गाड़ी दिनभर में आ पाती थी, लेकिन अब तो 50 से 60 गाड़ी हर दिन आ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा व्यापार मेले के यह प्रयास सफल दिख रहा है।
मंदिर पहुंचने पर सबसे पहली मुलाकात छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं से होती है, वे यहां आने वालों को दुर्वा लेने का आग्रह करते हैं, कई बार तो पीछे-पीछे मंदिर परिसर तक पहुंच जाते हैं, इन दिनों उनकी भी मौज हो रही है। नया वाहन खरीदकर सबसे पहले मंदिर आने वाले लोग इनसे बिना किसी सवाल-जवाब के दुर्वा खरीद लेते हैं।
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