लोकसभा चुनाव के लिए उज्जैन संसदीय सीट से प्रत्याशी का नाम रुकने के बाद अब दावेदारों के बीच खींचतान तेज हो कई है। टिकट के लिए अब बहू, बेटी और पत्नी की बजाय कार्यकर्ताओं को टिकट दिए जाने की मांग ने जोर पकड़ा है। वहीं दावेदार टिकट के लिए भोपाल और दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
टिकट पर जातिगत समीकरण हावी
लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर जातिगत समीकरण भी हावी हो गया है। भाजपा की ओर से देवास-शाजापुर में मालवीय समाज से उम्मीदवार खड़ा किया जाने से उज्जैन में अन्य समाज को टिकट दिए जाने की संभावना बन गई है। दावेदार इसी आधार पर टिकट भी मांग रहे हैं।
उज्जैन-आलोट लोकसभा से इस बार नए चेहरों को टिकट दिए जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि जो भी उम्मीदवार तय होगा वह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पसंद का भी होगा। ऐसे में टिकट को लेकर रस्साकशी बढ़ गई है। टिकट के लिए भाजपाई कई धड़ों में बंट गए हैं।
एक गुट जहां वर्तमान सांसद अनिल फिरोजिया के साथ है वहीं दूसरा मुख्यमंत्री की पसंद के उम्मीदवार की बात कर रहा है। तीसरा गुट इन दोनों से हटकर पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता को टिकट दिए जाने की वकालत कर रहा है।
इसके लिए संगठन स्तर पर संदेश भी भिजवाया जा रहा है कि है कि टिकट भाजपा के कार्यकर्ता को दिया जाए ना कि किसी भाजपा नेता की पत्नी, बहू या बेटी को। दअरसल लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा नेता की बहू का नाम सामने आने के बाद कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिए जोन की मांग पकड़ी है। इस बात पर संगठन कई हद तक सहमत भी है।
ऐसे में अगले दो-तीन दिनों में प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मोहर से पहले दावेदार सारे जतन कर रहे हैं। इसके लिए कुछ दावेदार भोपाल में नेताओं से मिल रहे हैं तो कुछ ने उम्मीदवार बनने के लिए दिल्ली में भी लॉबिंग की है।