Jaisamand lake: दूसरे वर्ष छलकने को बेताब, 44 वर्ष में पांचवीं बार आया मौका
जल संसाधन विभाग के अनुसार झील में पानी की आवक बनी हुई है मगर दो दिन से बारिश थमने से यह घट गई है।
उदयपुर•Sep 04, 2017 / 01:23 pm•
उदयपुर . एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित मीठे पानी की जयसमंद झील का जलस्तर रविवार को 8.14 मीटर पार कर गया। अब यह पूर्ण भराव क्षमता से महज 0.14 मीटर दूर है। बरसात का दौर कमजोर पडऩे से अब पानी को इस आंकड़े तक पहुंचने में कम से कम दो दिन और लग सकता है। जल संसाधन विभाग के अनुसार झील में पानी की आवक बनी हुई है मगर दो दिन से बारिश थमने से यह घट गई है। आवक जारी रहने और बरसात के आने पर यह अगले दो दिन में कभी छलक सकती है। ऐसा होने के साथ ही झील के इतिहास में लगातार दो साल ओवरफ्लो होने का रिकार्ड भी बन जाएगा।
READ MORE: PICS Udaipur Union Election 2017: चुनाव में दिखें जलवे कैसे-कैसे, तस्वीरों में देखिए हाल-ए-चुनाव विश्व विख्यात जयसमंद झील में 9 नदियां और 99 नालों का पानी समाहित होता है। पिछले 44 वर्षों में यह झील 1973, 1994, 2006 व 2016 में ओवरफ्लो हुई। वर्ष 1730 में बनकर तैयार हुई एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की इस झील के ओवरफ्लो होने का तरीका भी अनूठा है। महाराज जयसिंह ने इसका निर्माण ऐसा करवाया कि पाल पर सबसे ऊपर बने 6 हाथी की सूंड को पानी पार करते ही झील ओवरफ्लो हो जाती थी। हालांकि झील के इतिहास में ऐसा एक बार ही हो पाया। वर्ष 1973 में पहली बार झील इसी तरह ओवरफ्लो हुई तो डूब क्षेत्र के कई गांवों में हाहाकार मच गया। बाद में रपट की ऊंचाई 1973 के हालात को देखकर घटा दी गई।
नई व्यवस्था में पाल पर बने आखिरी हाथी के पैरों में बंधी जंजीरों को पानी छू ले तो समझो जयसमंद ओवरफ्लो हो गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उदयपुर के तत्कालीन महाराणा जयसिंह द्वारा 14 हजार 400 मीटर लंबाई एवं 9 हजार 500 मीटर चौड़ाई में में निर्मित यह कृत्रिम झील एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी का स्वरूप मानी जाती है। दो पहाडिय़ों के बीच में ढेबर दर्रा को कृत्रिम झील का स्वरूप दिया गया।
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