शुक्रवार को कन्हैयालाल की बरसी है। घटना को पूरे दो साल हो चुके हैं। इस मौके पर राजस्थान पत्रिका टीम गुरुवार को कन्हैयालाल के घर पहुंची। मोहल्ले में फिर उन्हीं चर्चाओं की गूंज थी, जो दो साल पहले पहले भी थी। घर का दरवाजा खटखटाया तो पुलिसकर्मी से सामना हुआ। पुलिसकर्मी पिछले दो साल से कन्हैया के परिवार की सुरक्षा में तैनात है। बाकायदा रजिस्टर में नाम पते दर्ज करने और परिवार की अनुमति लेने के बाद प्रवेश दिया गया। अंदर पहुंचे तो कन्हैयालाल की पत्नी से सामना हुआ। बुझे से चेहरे पर मुस्कान दो साल बाद भी नहीं लौटी थी।
मां के आसपास मौजूद बड़े बेटे यश ने के पैरों में आज भी चप्पल नहीं है और बाल भी दो साल से नहीं कटवाए हैं। वजह ये कि बेटे ने पिता की मौत के बाद संकल्प ले लिया कि जब तक आरोपियों को सजा नहीं हो जाती, ना बाल कटवाएंगे और ना ही चप्पल पहनेंगे। छोटा बेटा तरुण मां और बड़े भाई की बातें सुन रहा था, लेकिन अपने में खोया हुआ सा था। मानो उसके चेहरे के भाव कह रहे थे कि छोटी उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ चुका है।
अस्थियां और तस्वीर थामे परिवार अब भी सहमा हुआ और उम्मीदों भरी निगाह से देख रहा था। करीब आधा घंटा परिवार के साथ बिताया। इस दौरान कन्हैयालाल की पत्नी और बेटों ने पिछले दो साल की दास्तां सुनाई। उनकी बातों से स्पष्ट था कि आज भले ही घर में बहुत कुछ हो, लेकिन बच्चों के सिर पर पिता का साया नहीं है।
तीन माह पहले शुरू हुई पेशी
यश ने बताया कि घटना के बाद फास्ट ट्रैक में सुनवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन तीन माह पहले ही पेशियां शुरू हुई है। चार पेशियों में से दो में कुछ नहीं हुआ। एक में मैं नहीं जा सका और एक पेशी में बयान लिए गए। उस समय वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये आरोपियों को दिखाया गया। आरोपियों ने इस हत्याकांड को अंजाम देना स्वीकार कर लिया है तो केस को लंबा खींचने का कारण समझ से परे है। उन्होंने बताया कि पेशी पर जयपुर जाने के दौरान एक बार सीएम से भी मिला था। उस समय लोकसभा चुनाव की आचार संहिता थी। उन्होंने चुनाव के बाद केस में जल्द से जल्द न्याय दिलवाने का आश्वासन दिया। उनकी पत्नी जसोदा ने कहा कि हम तो आम नागरिक है। आरोपियों ने तो प्रधानमंत्री को भी धमकी दी थी। इसके बावजूद सजा देने में इतना समय क्यों लग रहा है।