इनका कहना
नियामक आयोग की ओर से जारी सुरक्षा सम्बन्धित निर्देशों की पालना नहीं होने की शिकायत हमने विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 142 में की। जिसे आयोग ने याचिका का रूप देते हुए वितरण कम्पनियों को नोटिस जारी किया। उनके असंतोषपूर्ण जवाब पर यह सिद्ध हो गया की कम्पनियां सुरक्षा सम्बन्धित निर्देशों की पालना नहीं करने की दोषी है। इसके बावजूद नियामक आयोग ने इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
वाइके बोलिया, कोर कमेटी सदस्य, समता पावर
हम हाइकोर्ट में गए, जहां पीआईएल लगाई, नियामक आयोग में भी गए। सुरक्षा मानक तय किए गए हैं, जो विद्युत अधिनियम में आते हैं। इनकी पालना क्यों नहीं की जा रही है। यह हठधर्मिता है। सभ्य समाज में इससे बुरी स्थिति क्या हो सकती है। हाइकोर्ट में पीआईएल पर सुनवाई नहीं हो रही है, नियामक आयोग लाचार है और जिम्मेदार समझने को तैयार नहीं है। इंसानी जीवन अनमोल है, जिसे जिम्मेदार हल्के में ले रहे हैं।
डीपी चिरानिय, अध्यक्ष, आरएसइबी रिटयर्ड अभियन्ता-अधिकारी जनकल्याण ट्रस्ट
जब तब सामाजिक उत्तरदायित्व नहीं हो तब तक नतीजे बेहतर नहीं हो सकते हैं। करंट के खतरे मनुष्य की जान से जुड़ा मुद्दा है, जिनकी अनदेखी की जा रही है, जबकि बेवजह की बयानबाजी करने को उतारु रहते हैं। जो काम एक माह में करना था, उसे सात माह हो गए, लेकिन सुधार नहीं हुए। मानवाधिकार आयोग का भी कहना है कि करंट से हादसों के कारण जानकर सुधार किया जाना चाहिए।
बीएम सनाढ्य, निदेशक, समता पावर