भाजपा में बगावत: पहले फूट-फूट कर रोए,अब सीएम के गले लगे भाजपा का टिकट घोषित होते ही यहां पर बगावत के सुर उठने लगे। भाजपा के टिकट की उम्मीद लगाए बैठे नरेन्द्र मीणा ने नाराजगी जताई और फूट-फूट कर रोए। इधर बागियों को डेमेज कंट्रोल के तहत सीएम ने नरेन्द्र मीणा को चार्टर प्लेन से जयपुर बुलाया। सीएम ने उन्हें समझाया। इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लडऩे का मानस बनाया है।
करीब 2 हजार वोटर बढ़े दिसम्बर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सलूम्बर क्षेत्र में 2 लाख 95 हजार 148 मतदाता पंजीकृत थे। इस बार के चुनाव तक मतदाताओं की संख्या में करीब दो हजार की बढ़ोतरी हुई है। लिहाजा इस बार 2 लाख 97 हजार से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं।
पिछले चुनाव में रही यह स्थिति
80086 वोट भाजपा प्रत्याशी अमृतलाल मीणा को मिले
37.54 प्रतिशत थी अमृतलाल की हिस्सेदारी
65395 वोट कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर सिंह मीणा को मिले
30.66 प्रतिशत रघुवीर मीणा की हिस्सेदारी
67838 वोट अन्य प्रत्याशियों को मिले
31.8 प्रतिशत अन्य की रही हिस्सेदारी बीएपी: चौरासी व सलूम्बर में उतारे अपने प्रत्याशी भाजपा-कांग्रेस का गणित बिगाडऩे वाले क्षेत्रीय दलों में बीएपी ने भी भरपूर तैयारी की है। पार्टी का चौरासी सीट से ज्यादा जोर सलूम्बर पर है। वजह ये है कि चौरासी सीट से राजकुमार रोत जीतते रहे हैं, वहीं पार्टी वहां मजबूत स्थिति में है। ऐसे में पार्टी अपनी सीट संख्या में बढ़ोतरी करने के लिए सलूम्बर पर ज्यादा दमखम लगाए हुए है। बीएपी ने यहां अपना प्रत्याशी उतार दिया है। हालांकि यहां से अभी कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यहां गठबंधन की सभी संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं।
भाजपा: जीत बरकरार रखने पर जोर सलूम्बर उपचुनाव को लेकर भाजपा के सामने दोहरी चुनौती है। जहां एक ओर क्षेत्रीय दल को रोकना है, वहीं पार्टी की जीत बरकरार रखनी है। सलूम्बर के कद्दावर और जीताऊ नेता अमृतलाल मीणा के निधन के बाद पार्टी का जोर इस बात पर है कि सलूम्बर सीट किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं जाने पाए। लिहाजा पिछले दो माह में पार्टी के तमाम बड़े नेताओं की सलूम्बर में आवाजाही रही।
कांग्रेस: गठबंधन की उम्मीदें फेल, भाजपा के साथ बीएपी से भी मुकाबला
कांग्रेस के लिए सलूम्बर सीट भाजपा से छीनना बड़ी चुनौती है। यहां पिछले तीन चुनाव में भाजपा के अमृत लाल कांग्रेस उम्मीदवारों को शिकस्त दे चुके हैं। पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा यहां से शिकस्त ले रहे हैं। पिछले तीनों चुनाव में वे जीत हासिल नहीं कर पाए। दो बार रघुवीर सिंह और एक बार उनकी पत्नी बसंती देवी बतौर कांग्रेस उम्मीदवार जीत अर्जित नहीं कर पाए। ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर वापस काबिज होने के लिए जुट गई है।