मोहम्मद इलियास/उदयपुर नौ माह कोख में रखने के बाद मां की ऐसी क्या मजबूरी रही कि उसने बच्ची को जन्मते ही अपने से जुदा कर पालने में लावारिस छोड़ दिया। वह भी उस समय जब उस बच्ची को मां का प्यार दुलार व दूध की सख्त जरूरत थी। पालने में उसकी रुलाई फूटते ही जैसे ही महिला स्टॉफ उसे उठाने गई तो उसके भी एक बार हाथ कांप गए। बरबस उनके मुख से एक ही शब्द हे भगवान!यह बच्ची चित्रकूटनगर स्थित पालने में आई। दोपहर को पता चलने पर राजकीय शिशुगृह अधीक्षिका वीना मेहरचंदानी ने इसकी सूचना बाल कल्याण समिति सदस्य बी.के.गुप्ता को दी। गुप्ता ने बच्ची को इलाज के लिए बाल चिकित्सालय भिजवाते हुए अस्पताल अधीक्षक लाखन पोसवाल को इलाज मुहैया करवाने को कहा। बच्ची को मां ने नए कपड़ों के साथ ही शॉल में लपेटकर पालने में परित्याग किया था। बालिका का वजन करीब 1.700 किलोग्राम है। शिशुगृह स्टॉफ सौरभ ने बच्ची को बाल चिकित्सालय में भर्ती करवाया।