script9 साल पहले बेमिसाल कारीगरी कर जिस झूमर को बनाया, उसी मास्टरपीस ने दिलाया अंतरराष्ट्रीय सम्मान | Udaipur Artist Waqar Hussain Got International Award For Jhoomar | Patrika News
उदयपुर

9 साल पहले बेमिसाल कारीगरी कर जिस झूमर को बनाया, उसी मास्टरपीस ने दिलाया अंतरराष्ट्रीय सम्मान

शिल्पकार वकार हुसैन को लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने प्रदान किया प्रमाण-पत्र और अवार्ड, पत्रिका में छपा लेख बना माध्यम

उदयपुरJan 28, 2021 / 06:27 pm

madhulika singh

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उदयपुर. हर कलाकार यूं तो हमेशा दिल से अपनी कृतियां गढ़ता है लेकिन इन कृतियों में भी कुछ कृतियां ऐसी बन जाती हैं जो कलाकार का ‘मास्टर पीस’ कहलाती हैं। ऐसी बेमिसाल कला और कृतियां फिर वापस बमुश्किल ही बन पाती हैं। कुछ ऐसी ही कारीगरी और कला के धनी हैं शहर के शिल्पकार वकार हुसैन। वकार ने 9 साल पहले जिस खूबसूरत झूमर को अपनी सोच से हकीकत में ढाला था, उसी झूमर ने या कहें उनके मास्टर पीस ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय अवार्ड दिलवाया है।
पत्रिका को कहा शुक्रिया

वकार हुसैन अंतरराष्ट्रीय क्रिस्टल ग्लास शिल्पकार हैं। शिल्पकार हुसैन ने पत्रिका को इस सम्मान के लिए शुक्रिया किया। दरअसल, पत्रिका के वर्ष 2012 के जस्ट उदयपुर के अंक में ‘कारीगरी का झूमर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। ये खबर एक तरीके से इस सम्मान का माध्यम बनी। इसकी कटिंग उन्होंने 21वीं सेंचुरी इंटरनेशल बुक ऑफ रिकॉड्र्स के लिए भेजी। जिसके आधार पर उनका नाम इस बुक में दर्ज किया गया। वकार कहते हैं, यदि पत्रिका में इस बारे में लेख प्रकाशित नहीं होता तो शायद ही ये सम्मान उन्हें मिल पाता।
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14 फीट लंबा, 700 किलो वजनी और 155 बल्बों से सजाया

वकार ने बताया कि साल 2012 में उन्होंने एक विशाल झूमर बनाया था जिसकी सोच उन्हें बेल्जियम के झूमर से मिली थी। बेल्जियम में ही इसकी लंबाई 14 फीट, चौड़ाई 8 गुणा 8 फीट है। 155 से अधिक बल्ब लगाए और इसका वजन करीब 700 किलो है। इसे बनाने में करीब 8 माह का समय लगा। इस दौरान कई मुश्किलें भी आई लेकिन एक जुनून था कि कुछ ऐसा बनाऊं जिसके कारण याद किया जाऊं। बस, उसी जुनून का नतीजा है कि उस झूमर को 21वीं सेंचुरी इंटरनेशल बुक ऑफ रिकॉड्र्स में शामिल किया गया। यह सम्मान एचआरएच ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने उन्हें प्रदान किया। इसमें उन्हें प्रमाण-पत्र, मैडल व ब्रॉच दिया गया है। वकार को इससे पूर्व कई अवार्ड व सम्मान मिल चुके हैं जिनमें वर्ष 2002 में महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन की ओर से मिला महाराणा सज्जन सिंह सम्मान उनके लिए सबसे यादगार है।

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