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उदयपुर

मेहमान परिंदों की अगले दो सप्ताह में होगी चहचहाहट

सर्दियों के मौसम के साथ ही मेवाड़ के जलाशयों पर देश-विदेश के प्रवासी परिंदों के आने का क्रम शुरू हो जाता है। जिलेभर में आने वाले प्रवासी पक्षी शीत प्रदेशों में बर्फबारी के बाद मूलत: स्थान से कुछ समय के लिए भोजन और आवास की तलाश में निकल जाते है। जो अब कुछ ही दिनों में मेवाड़ के जलाशय पर पहुंच जाएंगे। कुछ प्रजाति के पक्षी तो पहुंच भी चुके हैं।

उदयपुरOct 08, 2024 / 07:18 pm

surendra rao

मेनार तालाब पर सारस क्रेन पक्षी का झुंड । ( फाइल फोटो)

उमेश मेनारिया

मेनार.(उदयपुर). सर्दियों के मौसम के साथ ही मेवाड़ के जलाशयों पर देश-विदेश के प्रवासी परिंदों के आने का क्रम शुरू हो जाता है। जिलेभर में आने वाले प्रवासी पक्षी शीत प्रदेशों में बर्फबारी के बाद मूलत: स्थान से कुछ समय के लिए भोजन और आवास की तलाश में निकल जाते है। जो अब कुछ ही दिनों में मेवाड़ के जलाशय पर पहुंच जाएंगे। कुछ प्रजाति के पक्षी तो पहुंच भी चुके हैं। जैसे-जैसे क्षेत्र में सर्दी में इजाफा होगा, वैसे ही प्रवासी पक्षियों का इस इलाके में आगमन शुरू हो जाएगा। इस साल अंतिम दिनों में मेवाड़ में हुई बारिश से उदयपुर संभाग के सभी छोटे-मोटे जलाशय लबालब हैं। वहीं, बर्ड विलेज मेनार का धण्ड तालाब और ब्रह्म सागर लबालब है। प्रवासी पक्षियों के लिए मुफीद मेनार के जलाशयों पर इस बार अधिक प्रवासी पक्षी आएंगे। शहर के शोर गुल से दूर ग्रामीण जलाशयों की जलवायु सरहद पार के परिंदों को अधिक पसंद आती है, वहीं प्राकृतिक हरियाली के बीच शोर-शराबे से दूर हजारों किलोमीटर दूर से आने वाले प्रवासी पक्षियों को मुकम्मल आवास मिलता है। पर्यावरणविदों व पक्षी प्रेमियों में उनके कलरव के साथ सुंदर दृश्यों को कैमरे में कैद करने की उत्सुकता रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार सीजन बदलने के साथ प्रवासी पक्षियों का आना-जाना शुरू हो जाता है। ये हिमालय के उस पार से उड़ान भरकर 4-5 हजार किमी दूरी तय कर यहां पहुंचते हैं।
प्रवास पर 150 से अधिक प्रजातियों के आते है पक्षी

बर्ड विलेज मेनार तालाब पर 150 से अधिक प्रजातियों के हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षी सर्दियों के दिनों में दिखाई देते हैं। इन पक्षियों में ग्रेटर फ्लेमिंगो, रोज़ी पेलिकन, डालमेशियन पेलिकन, बार हेडेड गूज, ग्रे-लेग गूज, ग्रेट क्रस्टेड ग्रीब, मार्श हेरियर, कॉमन क्रेन, सुर्खाब, गोडविट, शॉवलर, पिनटेल, यूरेशियन विजन, कॉमन पोचार्ड, टफटेड पोचार्ड, रेड क्रस्टेड पोचार्ड, गेडवाल, कॉमन टील, वेगटेल, ग्रीन शेंक, रेड शेंक, रिंग प्लोवर, प्रोटोनिकॉल, लिटील स्टींट, विस्कर्ड टर्न आदि मेहमान पक्षी आते हैं। बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी और देश-विदेश के पर्यटक व विशेषज्ञ मेनार पहुंचते हैं। वहीं, रात्रि में ठहरकर सुबह-शाम परिंदों की रंगीन दुनिया को देखने का लुत्फ उठाते है।

चार से पांच महीने तक रहता है प्रवास

पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार इन प्रवासी पक्षियों के आने का क्रम अक्टूबर माह में शुरू हो जाता है, जो नवंबर के अंत तक जारी रहता है। कभी-कभीं ये दिसम्बर माह की शुरुआत में भी पहुंचते हैं। इनके जाने का क्रम यहां की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अमूमन ये मार्च-अप्रेल माह तक यहां से चले जाते हैं। सर्दी के मौसम में ये करीब 4 से 5 महीने यहीं रुकते हैं। मेनार के दोनों जलाशय पर भोजन की प्रचुर उपलब्धता के कारण ये प्रतिवर्ष यहां खिंचे चले आते हैं। बता दें कि मेनार क्षेत्र में किसी भी जलाशय पर मछलीपालन नहीं होता है। साथ ही जलाशयों के पानी को सिंचाई के लिए भी उपयोग में नहीं लिया जाता है।

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