शव को देख बेसुध हुए परिवारजन
शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे के करीब नाड़ियाखेड़ी निवासी परसराम और चायलों का खेड़ा निवासी रामचंद्र का शव पहुंचा तो माहौल गमगीन हो गया। परसराम और रामचंद्र के शव पहुंचते ही परिवारजन बेसुध हो गए। इनके शवों का अंतिम संस्कार सुबह ही हो गया था। जबकि तीसरे श्यामलाल गुर्जर गोटीपा का शव देर शाम पहुंचा, जिसका अंतिम संस्कार रात सवा 8.30 बजे के करीब हुआ।
गांव ने दिया सामाजिक एकता का उदाहरण
मां को एक घंटे पहले बताया गया कि बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। गांव ने एक महीने तक दुख झेला, लेकिन परिवार को भनक तक नहीं लगने दी। इस दौरान वल्लभनगर क्षेत्र ने सामाजिक एकता का उदाहरण पेश किया। मृतक रामलाल के पिता भले ही वर्षों पहले गुजर गए हो, लेकिन समाज उसका सहारा बनकर खड़ा हुआ है। परिवार के दुखों को गांव एक महीने तक स्वयं झेलता रहा, लेकिन परिवार को नहीं बताया गया। ऐसी घटना में भी गांव वालों ने परंपरागत मूल्यों का पालन करते हुए परिवारों की रक्षा के लिए जो कदम उठाया, वह उनकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
तीनों गांवों में नहीं चले चूल्हे, हर आंख हुई नम
तीनों मृतकों के शव जब पैतृक गांव पहुंचे, तो हर ग्रामीण की आंख नम हो गई। वहीं, तीनों गांवों में शोक की लहर के कारण घरों में चूल्हे तक नहीं जले।