स्मार्ट सिटी की ओर से बकायदा स्मार्ट सिटी के काम की शुरुआत करने से पहले इसकी नींव तैयार करने से पहले पूर्व तैयारियां यहां कंसलटेंट के माध्यम से करवाई जा रही है। बकायदा स्मार्ट सिटी इन कंसलटेंट को मोटा पैसा वेतन के रूप में चुका रही है। तो क्यों नहीं इस तरह के अधूरे प्लान से बनाए गए पार्किंग के तोड़-फोड़ का खर्च उनसे वसूला जाए।
स्मार्ट सिटी की एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में बताया गया था कि स्मार्ट सिटी के प्रस्तावों में 11 स्थानों पर स्मार्ट पार्किंग स्थल चिह्नित किए हैं। अब वर्तमान में इनके स्थान पर नए पार्किंग स्थल तय किए गए है, जो एक किलोमीटर के दायरे में 8-9 स्थानों पर मल्टी लेवल पज़ल पार्किंग के रूप में बनाए जा रहे है। इसमें ये स्थान तय किए गए है।
पहले ये तय किए थे… – सेवाश्रम ब्रिज के नीचे
– माणिक्य लाल वर्मा पार्क – टाउन हॉल
– लेक सिटी मॉल – हाथीपोल
– सहेलियों की बाड़ी – चांद पोल
– पाला गणेश जी गुलाब बाग
– रोडवेज बस स्टैंड – दुर्गा नर्सरी रोड
—— अब ये तय किए गए हैं….
– 8.80 करोड़ में सिक्स लेवल पजल पार्किंग सूरजपोल – 00.80 करोड़ में तैयाबैया स्कूल के सामने पार्किंग
– 7.62 करोड़ में नाड़ा खाड़ा में मल्टी लेवल पार्किंग
– 00.40 लाख पीडब्ल्यूडी गैराज में पूर्व में बनाया गया पार्किंग था, जिसे तोड़ा गया – 5.71 करोड़ में आरएनटी मेडिकल कॉलेज
– 4.81 करोड़ में एम बी अस्पताल में पार्किंग
– इससे पूर्व निगम परिसर में 14.37 करोड़ रुपए खर्च कर पार्किंग बन चुकी है। इस प्रकार 47.04 करोड़़ रुपए केवल एक किलोमीटर के दायरे में पार्किंग पर खर्च किए जा रहे हैं, जबकि पेन सिटी में पार्किंग के लिए प्रस्तावित राशि मात्र 33 करोड़ है, जिसमें वीएमएस व सेंसर्स भी सम्मिलित है।
– पहले 30 लाख रुपए खर्च कर बनाई गई चांद पोल पार्किंग पर 3.63 करोड़ और खर्च कर मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जा रही है व फ तेह सागर के किनारे देवाली छोर पर एससीईआरटी परिसर में अलग से पार्किंग बन चुकी है।
एक्सपर्ट व्यू… सलाहकार कम्पनी स्मार्ट सिटी का पैसा बर्बाद कर रही है
उदयपुर स्मार्ट सिटी की स्पेनिश सलाहकार कम्पनी इप्टिशा ने जो भी प्रोजेक्ट बनाए वो अधिकांश गलत साबित हो रहे हैं। चाहे वो पुराने शहर को मोटर वाहन मुक्त करने की योजना हो, 20 किलोमीटर ऑन स्ट्रीट पार्किंग का प्रस्ताव हो, जिसमे कोई खर्चा नहीं था। किन्तु आज शहर के अंदर करोड़ों रुपए के मल्टी स्टोरी तथा पज़ल पार्किंग बनाई जा रही है वो भी एक बार बना कर फि र तोड़ा जा रहा है। जिससे करोड़ों का नुकसान हो रहा है। मूल योजना में 19 चौराहों पर ट्रैफि क लाइट लगाने का प्रस्ताव था, लेकिन नई लाइटें लगा कर अब उन्हें नाकारा कर राउंड अबाउट बनाए जा रहे है। 143 किलोमीटर फ ुटपाथ बनाने का प्रस्ताव था किन्तु जो थे उन्हें ही तोड़ा जा रहा है। ए बी कॉलेज भट्टे पर इन्हीं सलाहकारों ने ओवर ब्रिज को अनावश्यक बता कर रिजेक्ट किया है, जिसका अभी ऑनलाइन उद्घाटन हुआ है। फि र इन्हे किस लिए करोड़ों-अरबों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस कंपनी की अकर्मण्यता के कारण इसे तीन वर्ष पूर्व ही अजमेर स्मार्ट सिटी बोर्ड ने बर्खास्त कर दिया था। हमारे स्मार्ट सिटी बोर्ड को सलाहकारों के काम की समीक्षा कर कड़े निर्णय लेने होंगे।
(कमेटी के आमंत्रित सदस्य ) —–
पहले जो पार्किंग बनाई गई वह ग्राउंड फ्लोर पर थी, जो पूरी भरने लगी थी। उसमें अब ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है, इसलिए इसे मल्टीलेवल बनाया जा रहा है, स्मार्ट सिटी के कार्य को लेकर हर निर्णय स्मार्ट सिटी का बोर्ड करता है, जो केन्द्र सरकार की ओर से तय है।