जयपुर में अब बारिश से सड़कें नहीं बनेगी दरिया! गुजरात की तर्ज पर डिप्टी सीएम दिया कुमारी ले आई ये बड़ी योजना
पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीमों का भी सर्च अभियान जारी
जंगल में 13 टीमें सर्च अभियान के तहत पैंथर की तलाश कर रही है। वहीं 12 शूटर लगे हैं। वन विभाग के एक-एक रेंजर इन टीमों का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रत्येक टीम में वनकर्मी, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक हैं। पूरे ऑपरेशन के संचालन के लिए पांच ग्रुप बनाए हैं। इसकी जिम्मेदारी क्षेत्रीय वन अधिकारी स्तर के एक-एक अफसर संभाल रहे हैं। प्रदेश भर से बुलाए गए शूटर भी इन टीमों में हैं।शुक्र है कोई नया शिकार नहीं किया
पैंथर ने एक अक्टूबर को केलवों का खेड़ा में कमला कुंवर पर हमला किया था। जिसके दो दिन बाद उसी घर के आसपास पैंथर का मूवमेंट रहा। जिसके बाद केलवों का खेड़ा में मां-बेटे ने पैंथर को देखा था, जिससे हमले की फिराक में था। तीन दिन तक पैंथर का मूवमेंट गांव में नही दिखाई दिया है। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे है कि कही पैंथर ने लोकेशन तो नहीं बदल ली। जिस तरह छाली और मजावद, बगडूंदा में इंसानों पर हमला कर इस क्षेत्र में मूवमेंट किया था।मादा पैंथर का यूरिन मंगवाकर जंगल में छिड़का
5 ट्रेंक्यूलाइजर टीमें भी गोगुंदा के जंगल में हैं। ये टीम ट्रेंकुलाइजर से लेपर्ड को बेहोश कर पकड़ने में जुटी है। पैंथर का मूवमेंट नहीं दिखाई देने और अब तक कोई शिकार नहीं करने से प्रशासन को अंदेशा है कि पैंथर आसपास के क्षेत्र में जाकर कोई हमला नहीं कर दे। जिसके लिए ग्रामीणों की सुरक्षा के इंतजाम किए हैं।पैंथर को चकमा देने के लिए जंगल में आदमी की डमी रखी है। मादा पैंथर का यूरिन मंगवाकर उसे जंगल में लगाए गए पिंजरों के आसपास छिड़का है। जिससे यूरिन की गंध सूंघकर पैंथर वहां आएगा। वन विभाग का अनुमान है कि आदमखोर पैंथर नर ही है।
सावधानी बरतने की जरुरत
पैंथर का स्वभाव मनुष्य का शिकार करने का नहीं है। ये इसके फ्रूट चार्ट में शामिल नहीं है। हालांकि कैनाइन टूटने पर आसानी से उपलब्ध शिकार मनुष्य होता है। हमले जिस तरह से हुए हैं, उससे प्रतीत होता है कि पैंथर के कैनाइन मौजूद हैं। कुछ दिनों से मूवमेंट नहीं होने पर टेरेटरी बदलने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। क्योंकि पैंथर कई दिनों तक बिना शिकार के रह सकता है। अभी भी लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है।–डॉ अभिमन्यु सिंह राठौड़, सहायक आचार्य, वाइल्ड साइन्सेज, प्राणी शास्त्र विभाग, बीएन विश्वविद्यालय, उदयपुर