एसीबी उदयपुर के उपमहानिरीक्षक राजेंद्रप्रसाद गोयल ने बताया कि रिश्वत के मामले में आरोपी जिला क्षय अधिकारी डॉ. अंशुल मट्ठा को और रिश्वत लेने वाले उसके चचेरे भाई दलाल समीर मट्ठा को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। आरोपी डॉ. अंशुल मट्ठा यह रिश्वत अपने साथी डॉक्टर पूर्व क्षय अधिकारी से वसूल रहा था। उसने रिश्वत में 30 हजार रुपए मांगे थे। आखिर 25 हजार रुपए लेने को राजी हो गया था। आरोपी ने साथी डॉक्टर को अपने चचेरे भाई समीर मट्ठा की अलीपुरा मस्जिद के पास स्थित इंटीरियर डेकोरेशन की दुकान पर राशि देने के लिए कहा था। दलाल ने रुपए ले लिए और आरोपी डॉक्टर रिश्वत राशि जुटाने के लिए पहुंचा था कि एसीबी ने ट्रेप कर लिया।
इस मामले में मांगी रिश्वत
जिला क्षय निवारण केंद्र में वर्ष 2022-23 में 1.50 लाख रुपए कीमत की फिनाइल की 400 बोटल खरीदी गई थी। उस समय प्रभारी डॉ. अभिषेक सिंघल थे। उनके हटने के बाद डॉ. अंशुल मट्ठा प्रभारी बना और उसने पूर्व अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू कर दी। उसने कहा कि फिलाइन की 400 बोटल के बजाय 220 ही आई। डॉ. सिंघल ने स्टॉक का रिकॉर्ड होने की बात कही, लेकिन आरोपी नहीं माना। जांच के हवाले में डॉ. सिंघल का वेतन भी रुकवा दिया। बार-बार अनुरोध करने पर आरोपी डॉ. मट्ठा ने 30 हजार रुपए के बदले बिल समायोजित करने और जांच खत्म करने की बात कही। आखिर 25 हजार रुपए लेने को राजी हो गया था।
कॉल रिकॉर्ड से खुलासा
एसीबी ने दलाल को ट्रेप करने के बाद हाथों हाथ कॉल रिकॉर्ड खंगाला। ऐसे में दलाल समीर मट्ठा और आरोपी डॉ. अंशुल मट्ठा के बीच लगातार हुई बातचीत का रिकॉर्ड मिल गया। इसी दौरान पीडि़त डॉ. सिंघल को किए गए कॉल से भी मिलान हो गया। दबोचे जाने के बाद डॉ. मट्ठा से एसीबी ने पूछताछ की तो उसने भी 30 हजार रुपए रिश्वत मांगने और चचेरे भाई की दुकान पर रुपए पहुंचाने की बात कहना स्वीकार किया।
घर पर तलाशी, पत्नी भी डॉक्टर
एसीबी की शुरुआती जांच में सामने आया कि आरोपी डॉ. मट्ठा की पत्नी भी निजी हॉस्पिटल में डॉक्टर है। वह सेक्टर 11 स्थित मकान में संयुक्त परिवार में रहता है। एसीबी टीम कार्रवाई के बाद आरोपी के घर पहुंची, जहां तलाशी का दौर देर रात तक भी जारी रहा। यहां एसीबी ने कई तरह के दस्तावेजों की जांच की, वहीं घर और बैंक में सम्पत्ति संबंधी रिकॉर्ड जुटाया। पूरी कार्रवाई एएसपी विक्रमसिंह के नेतृत्व में हुई।